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Soil health: मिट्टी की सेहत हो रही खराब, उर्वरता घटने के साथ स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा असर, जाने मिट्टी की सेहत सुधारने के उपाय

मिट्टी को बचाओ, भविष्य को बचाओ
मिट्टी को बचाओ, भविष्य को बचाओ

भारत में मिट्टी की सेहत लगातार बिगड़ती जा रही है। तमाम अध्ययनों के अनुसार, देश की लगभग 30 प्रतिशत मिट्टी खराब हो चुकी है। विशेषज्ञ बताते हैं कि पचास साल पहले मिट्टी में जिंक, सल्फर, मैंगनीज, आयरन और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी नहीं थी। लेकिन आज यह कमी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जो मिट्टी के क्षरण का संकेत है। इन पोषक तत्वों को फिर से जोड़ने की प्रक्रिया से खेती की लागत में वृद्धि हो जाती है।

कृषि क्षेत्र में हरित और रेनबो क्रांति का योगदान Contribution of green and rainbow revolution in agriculture sector:

स्वतंत्रता के बाद भारत ने कृषि के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां हासिल कीं। हरित क्रांति के माध्यम से खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि हुई। इसमें पैदावार बढ़ाने वाले बीज, उर्वरक और रसायनों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया। हरित क्रांति की शुरुआत खरीफ फसलों से हुई और इसके बाद रेनबो क्रांति ने बागवानी, डेयरी, जलीय कृषि और मुर्गी पालन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया। इससे कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख स्तंभ बन गई।

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मिट्टी की सेहत और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव Impact on soil health and human health:

रसायनिक उर्वरकों के बढ़ते उपयोग प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन और अस्थिर मौसम ने मिट्टी पर गहरा दबाव डाला है। रसायनों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता घट रही है। ऐसी मिट्टी में उगने वाली सब्जियों, अनाज और दलहनों में रसायनों का प्रभाव बढ़ रहा है। इनका सेवन करने से मानव शरीर को नुकसान हो रहा है, और कम उम्र में गंभीर बीमारियां जैसे कैंसर, हृदय रोग और अन्य समस्याएं उभर रही हैं।

मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए जरूरी कदम और उपाय Necessary steps and measures to improve soil health:

  1. गोबर खाद और वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग: मिट्टी में जैविक खाद का उपयोग बढ़ाकर मिट्टी की उर्वरता को बहाल किया जा सकता है।
  2. मित्र कीटों का संरक्षण: मित्र कीटों की संख्या बढ़ाने से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  3. मिट्टी और पानी का परीक्षण: किसानों को मिट्टी और पानी का नियमित परीक्षण करवाना चाहिए। परीक्षण के आधार पर ही उर्वरकों का सीमित उपयोग होना चाहिए।
  4. प्राकृतिक खेती: किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ाना चाहिए, जिससे रसायनों पर निर्भरता कम हो सके।
  5. कृषि वैज्ञानिकों की सलाह: किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की गाइडलाइंस का पालन करना चाहिए ताकि उर्वरकों और रसायनों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

मिट्टी की सेहत बचाने में युवाओं का योगदान: मिट्टी की सेहत को लेकर युवाओं को भी जागरूक होने की आवश्यकता है। युवाओं को कृषि में नए प्रयोग और तकनीकों को अपनाकर मिट्टी को बचाने की दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। यदि किसान मिट्टी की उर्वरता को संरक्षित करने के लिए उचित कदम उठाएं तो न केवल उनकी फसल की पैदावार बेहतर होगी, बल्कि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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