By khetivyapar
पोस्टेड: 30 Mar, 2025 12:00 AM IST Updated Sun, 30 Mar 2025 08:16 AM IST
किसान अपनी फसल की उपज और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कई उपाय अपनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मृदा परीक्षण (Soil Testing) धान की बुवाई से पहले बेहद फायदेमंद हो सकता है? यह परीक्षण मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी प्रदान करता है, जिससे उर्वरकों का संतुलित उपयोग किया जा सकता है। इससे न केवल फसल की पैदावार में वृद्धि होगी, बल्कि कृषि लागत भी कम होगी।
मृदा परीक्षण से पहले करें ये जरूरी कार्य Do these important tasks before soil testing:
- सही तरीके से मिट्टी का सैंपल लें: खेत के 8-10 स्थानों से मिट्टी का नमूना लें। प्रत्येक स्थान पर 6 इंच गहरा और 4 इंच चौड़ा गड्ढा बनाएं। किनारे से 2.5 सेंटीमीटर की परत काटकर नमूना अलग करें।
- मिट्टी को अच्छी तरह मिलाएं: एकत्रित नमूनों को मिलाकर चार भागों में बांटें। आधा किलो मिट्टी बचाकर स्वच्छ थैली में पैक करें और परीक्षण के लिए भेजें।
- सही स्थान से नमूना लें: खेत के ऐसे भाग से नमूना लें जहां सिंचाई नाली, खाद का गड्ढा या पेड़ न हों। नमूने में अधिक नमी न हो, वरना परीक्षण के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
मृदा परीक्षण के फायदे Benefits of soil testing:
- पोषक तत्वों की पहचान: मिट्टी में कौन से तत्व कम या अधिक हैं, यह जानकर किसान सही उर्वरक का चयन कर सकते हैं।
- रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग: परीक्षण से जरूरत के अनुसार उर्वरकों का उपयोग होगा, जिससे मृदा की सेहत बनी रहेगी।
- कृषि लागत में कमी: सही उर्वरकों के चयन से बेकार खर्च से बचाव होगा और लागत में कमी आएगी।
मृदा परीक्षण की प्रक्रिया और शुल्क: किसान अपने क्षेत्र की कृषि विभाग की मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में मिट्टी की जांच करा सकते हैं। इसकी लागत लगभग ₹100-110 प्रति सैंपल होती है।
सही मृदा परीक्षण से होगी अधिक पैदावार: धान की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच कराने से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार होता है। इससे भूमि की उर्वरता बनी रहती है और मिट्टी की सेहत लंबे समय तक सुरक्षित रहती है। हर किसान को इसे अपनी खेती की योजना का अहम हिस्सा बनाना चाहिए, ताकि अधिक लाभ और बेहतर फसल प्राप्त हो सके।
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