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Wheat varieties: आगामी रबी सीजन के लिए फसल अवशेष प्रबंधन की तैयारी, गेहूं की उन्नत किस्मों के बारे में जानें

Wheat varieties: आगामी रबी सीजन के लिए फसल अवशेष प्रबंधन की तैयारी, गेहूं की उन्नत किस्मों के बारे में जानें
कम पानी में उगाई जाने वाली गेहूं की उन्नत किस्में

आगामी रबी सीजन के लिए किसान कम पानी में होने वाली गेहूं की उन्नत किस्मों की ओर मुख्य फोकस है। इसके अलावा किसानों का मेले में आगामी रबी फसलों के बीजों के लिए किसानों ने गेहूं, सरसों, चना, मेथी, मसूर, जौ, बरसीम, जई और मक्का की उन्नत किस्मों के लगभग 2 करोड़ 39 लाख रुपये के बीज खरीदे। इतना ही नही किसानों ने नए उन्नत बीजों, कृषि विधियों, सिंचाई यंत्रों, कृषि मशीनरी की जानकारी भी प्राप्त की। 

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि दो दिवसीय कृषि मेला में 39 हजार से अधिक किसान पहुंचे और उन्होंने उन्नत किस्मों में दिलचस्पी दिखाई है। 

नई कृषि तकनीकों और बीजों की जानकारी Information about new agricultural technologies and seeds:

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय कृषि मेला (रबी) में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब सहित कई राज्यों के किसान पहुंचे। कृषि मेला में नई कृषि तकनीकों की जानकारी देने के लिए 262 स्टॉल लगाए गए, जिससे किसानों को रबी फसलों की उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराने के साथ खेत की मिट्टी और पानी की जांच की सुविधा भी दी गई। साथ ही किसानों को जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के फायदे और नये तरीकों के बारे में भी बताया गया। 

कम पानी में उगाई जाने वाली गेहूं की उन्नत किस्में Improved varieties of wheat grown with less water:

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि विकसित की गई फसलों की किस्मों की उपज अधिक व गुणवत्ता से भरपूर होने के कारण किसानों के बीच मांग ज्यादा रहती है। विश्वविद्यालय अब तक 295 उन्नत किस्में विकसित कर चुका है और इन किस्मों की दूसरे प्रदेशों में मांग बढ़ रही है। मेले में विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों की ओर से विकसित की गई गेहूं की कम पानी में उगाई जाने वाली किस्में राया की आरएच 1424 व आरएच 761 किस्म, डब्ल्यूएच 1142 व 1184 किसानों की पसंदीदा रही है। इसके अलावा चारे वाली फसल मल्टीकट जई की एचजे 8 और एचएफओ 707 जैसी नई किस्मों की काफी मांग रही है। 

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में बताया गया:

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि हमें फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर जीवांश की मात्रा बढ़ाने, फसल विविधिकरण अपनाने के साथ जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान देने की जरूरत है। कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से निपटने के लिए कम पानी में उगाई जाने वाली किस्म बढ़ाने की जरूरत है। 

किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन करने की जरूरत:

किसानों द्वारा विभिन्न फसलों की कटाई के बाद बचे हुए पुआल, भूसा, डंठल तथा तना फसलों का अवशेष आदि पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ खेत की मिट्टी, वातावरण व मनुष्य एवं पशुओं के स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है। ऐसे में कटाई के लिए कंबाईन हार्वेस्टर का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ा है, जिसकी वजह से भारी मात्रा में फसल अवशेष खेत में ही पड़ा रह जाता है, जिसका प्रबंधन करना जरूरी है।

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