भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 2025 के दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) के लिए देशभर में सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान जारी किया है। मौसम विभाग के अनुसार, इस वर्ष मानसून के दौरान देश में औसत दीर्घकालिक सामान्य (LPA) का 105% वर्षा होने की संभावना है, जिसमें ±5% की त्रुटि संभव है।
रिपोर्ट बताती है कि मानसून की शुरुआत यानी जून में बारिश थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन जुलाई और अगस्त के महीने में मानसून गति पकड़ेगा और अच्छी बारिश होगी। खासकर मानसून का दूसरा भाग पहले से बेहतर रहने की उम्मीद है।
स्काईमेट का मानना है कि इस बार पश्चिम और दक्षिण भारत में अच्छी बारिश हो सकती है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक और गोवा जैसे क्षेत्रों में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है। जबकि पूर्वोत्तर भारत और उत्तर भारत के पहाड़ी राज्य जैसे मेघालय, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
वर्तमान में, एल नीनो-सदर्न ऑस्सीलेशन (ENSO) की स्थिति न्यूट्रल बनी हुई है, जबकि वायुमंडलीय परिसंचरण की विशेषताएँ ला नीना जैसी प्रतीत हो रही हैं। नवीनतम मौसम पूर्वानुमान मॉडल, जैसे कि मानसून मिशन क्लाइमेट फोरकास्ट सिस्टम (MMCFS) और अन्य जलवायु मॉडल, संकेत दे रहे हैं कि यह न्यूट्रल ENSO स्थिति मानसून सीजन के दौरान बनी रह सकती है। इसी प्रकार, हिंद महासागर डाइपोल (IOD) की स्थिति भी वर्तमान में सामान्य (न्यूट्रल) है और मानसून के दौरान इसके भी न्यूट्रल बने रहने की संभावना है।
हिमावरण और उसका प्रभाव: जनवरी से मार्च 2025 के बीच उत्तरी गोलार्ध और यूरेशिया में बर्फ की परत सामान्य से कम रही है। आमतौर पर सर्दियों और वसंत ऋतु में हिमावरण की मात्रा का भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून पर उल्टा प्रभाव पड़ता है।
पूर्वानुमान रणनीति में बदलाव: 2003 से, IMD दो चरणों में लंबी अवधि के मानसून पूर्वानुमान जारी करता आ रहा है – पहला अप्रैल में और अद्यतन पूर्वानुमान मई के अंत में। 2021 से, IMD ने एक नई रणनीति अपनाई है, जिसमें डायनामिकल और स्टैटिस्टिकल दोनों प्रकार के पूर्वानुमान शामिल हैं। पहला पूर्वानुमान अप्रैल के मध्य में जारी किया जाता है, जिसमें पूरे देश के लिए वर्षा की मात्रा और संभाव्यता (प्रोबेबिलिटी) दोनों शामिल होती हैं। दूसरा चरण मई के अंत में आता है, जिसमें चार प्रमुख क्षेत्रों – उत्तर-पश्चिम भारत, मध्य भारत, दक्षिण प्रायद्वीप और पूर्वोत्तर भारत – के लिए क्षेत्रीय वर्षा पूर्वानुमान दिया जाता है।
वर्षा की संभावना और वितरण: 2025 के मानसून सीजन में देशभर में वर्षा के ऊपर-सामान्य (Above Normal) श्रेणी में आने की 59% संभावना जताई गई है। यह पूर्वानुमान एप्रिल महीने के प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है, जिसमें विभिन्न वैश्विक जलवायु मॉडल शामिल किए गए हैं। स्थानिक वितरण (spatial distribution) के अनुसार, देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना है। हालांकि, उत्तर-पश्चिम भारत, पूर्वोत्तर भारत और दक्षिण प्रायद्वीप के कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हो सकती है। कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां पूर्वानुमान स्पष्ट नहीं है और सभी वर्षा श्रेणियों की संभावना समान है।