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खरीफ सीजन की शुरूआत हो चुकी है साथ ही कई राज्यों में मानसून भी आ गया है। रबी और खरीफ के सीजन की जानकारी तो सभी को रहती है। ऐसे में किसानों को आशंका रहती है कि किस सीजन में कौन सी फसल लगायें। इस बात की जानकारी से काफी लोग अनजान हैं आइए जानते हैं खरीफ सीजन में बोई जाने वाली प्रमुख फसलें कौन सी हैं। खरीफ सीजन में आप कपास, मूंगफली, धान, बाजरा, मक्का, शकरकन्द, उर्द, मूंग, मोठ लोबिया, ज्वार, अरहर, ढैंचा, गन्ना, सोयाबीन,भिण्डी, तिल, ग्वार, जूट, सनई आदि फसलों की बुवाई कर सकते हैं।
धान की खेती खरीफ के सीजन की मुख्य फसल होती है। धान की फसल के लिए पानी की अधिक आवश्यकता पडती है। धान की बुवाई 15 जून से जुलाई के अंत तक और मध्य सितंबर से मध्य अक्टूबर के बीच इसकी कटाई कर सकते हैं। धान की फसल करीब 95- 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है जिसे मध्य सितंबर से मध्य अक्टूबर के बीच काट लिया जाता है।
उड़द और मूंग दलहनी फसल हैं। इनकी बुआई जून के आखिरी से जुलाई के आखिरी सप्ताह तक कर लेनी चाहिए। शुरुआती अक्टूबर से आखिरी अक्टूबर तक इसकी कटाई कर ली जाती है।
ज्वार की खेती बरसात होने से पहले या बरसात के आरंभ में ही कर ली जाती है। ज्वार एक मोटा अनाज होता है। मूंगफली की खेती किसानों की आर्थिक स्थिति बढ़ाने में सहायता करती है। इसकी बाजारों में अधिक डिमांड भी रहती है। इसकी खेती जून से लेकर मध्य जुलाई तक तथा मध्य अक्टूबर से शुरूआती नवंबर तक इसकी कटाई की जाती है।
खरीफ फसलों की तैयारी: किसानों को खेती करने वाले स्थान की मिट्टी, जलवायु एवं वर्षा की मात्रा के आधार पर चयन करना चाहिए। भूमि की अनुकूलता के आधार पर खेती करनी चाहिए। राजस्थान के किसानों को सिंचाई के विभिन्न स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। जिसमें ट्यूबवेल, कुएँ और टैंक शामिल हैं। कुछ भाग में नहरों से भी सिंचाई की जाती हैं लेकिन खरीफ सीजन में मुख्यतया बरसात पर ही किसानों को निर्भर रहना पड़ता है।
जलवायु और मृदा के आधार पर हमें उन्नत फसलों का चयन करके बुवाई की जानी चाहिए। ऐसे में बुवाई करने से पहले हमें वहां की जलवायु और मिट्टी के आधार पर फसलों का चयन करना चाहिए। कृषि उत्पादन में बीज का महत्वपूर्ण योगदान है। जैसा बोओगे वैसा काटोगे यह कहावत किसानों की समझ में आना चाहिए किसानों को उन्नत बीज का चयन करना चाहिए। भूमि की उर्वराशक्ति बनाए रखने तथा अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को फसल चक्र अपनाना जरूरी है। इससे खेत की उर्वराशक्ति बनी रहे। एक फसल एक ही खेत मे बार बार नहीं लेनी चाहिए। भूमि उपचार करने से भूमि जनित रोगों और कीटों की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। फसलों को रोगों से बचाने के लिये बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए। जिससे काफी हद तक फसलों को रोगों से बचाया जा सकता है।