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फरवरी-मार्च में करें इन ग्रीष्मकालीन सब्जियों की बुवाई, जाने उपयुक्त समय और सही तकनीक

ग्रीष्मकालीन सब्जियों की बुवाई
ग्रीष्मकालीन सब्जियों की बुवाई

इस समय गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जियों जैसे लौकी, कद्दू, करेला, तोरई, खीरा और टिण्डा की बुवाई के लिए उपयुक्त समय है। इनकी बुवाई मध्य फरवरी से मध्य मार्च तक की जा सकती है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इन फसलों की उन्नत किस्मों का चयन कर बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

उन्नत किस्में:

  1. लौकी – पूसा नवीन, पूसा संदेश, अर्का वहार, पूसा समृद्धि, पूसा संतुष्टि
  2. कद्दू – पूसा विश्वास, पूसा विकास
  3. करेला – पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी
  4. तोरई – पूसा सुप्रिया, पूसा चिकनी, पूसा नूतन, पूसा नसदार
  5. खीरा – पूसा संयोग, पूसा बरखा, पूसा उड़द
  6. टिण्डा – पंजाब टिण्डा, अर्का टिण्डा

भूमि की तैयारी एवं बुवाई तकनीक:

कद्दूवर्गीय सब्जियों के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसमें पीएच मान 6 से 7.5 के बीच हो, सबसे उपयुक्त मानी जाती है। भूमि परीक्षण के आधार पर गोबर की खाद या कम्पोस्ट का प्रयोग करें। बुवाई के लिए नालियां या उठी हुई क्यारियां तैयार करें। खेतों में नालियों की चौड़ाई करीब– 40-50 सेमी, नालियों की गहराई – 30-40 सेमी इसके अलावा कतारों से कतारों की दूरी करीब– 2-4 मीटर रखें। 

बीज दर एवं उपचार:

  1. खीरा – 2 से 2.5 किग्रा
  2. लौकी – 4 से 5 किग्रा
  3. करेला – 5 से 6 किग्रा
  4. तोरई – 4.5 से 5 किग्रा
  5. कद्दू – 3 से 4 किग्रा
  6. टिण्डा – 5 से 6 किग्रा
  7. तरबूज – 4 से 4.5 किग्रा
  8. खरबूज – 2.5 किग्रा

बुवाई से पहले बीजों को फफूंदनाशक काबेंडाजिम + मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करें।

खाद, उर्वरक एवं सिंचाई प्रबंधन:

  1. खेत की तैयारी के समय 15-20 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद का उपयोग करें।
  2. नत्रजन 80 किग्रा, फॉस्फोरस 50 किग्रा और पोटाश 50 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से दें।
  3. सिंचाई नियमित अंतराल पर करें, लेकिन जलभराव से बचाएं।

ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुवाई और देखभाल: भिंडी की बुवाई फरवरी से मार्च तक कर सकते हैं। उन्नत किस्में परभनी क्रांति, अर्का अभय, वीआरओ-5, वीआरओ-6, अर्का अनामिका। पीला मोजेक वायरस से बचाव के लिए थायोमिथाक्जाम 30 एफएस (10 मिली प्रति किग्रा बीज) या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस (1.25 मिली प्रति किग्रा बीज) से बीज उपचार करें।

भिंडी की बुवाई तकनीक:

  1. बीज दर – 20 से 22 किग्रा प्रति हेक्टेयर
  2. कतार से कतार की दूरी – 25-30 सेमी
  3. पौधे से पौधे की दूरी – 15-20 सेमी
  4. बीज की गहराई – 2-3 सेमी

भिंडी में खाद प्रबंधन: बुवाई से पूर्व 2-2.5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिलाएं। रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग नाइट्रोजन – 60 किग्रा, फॉस्फोरस 30 किग्रा और पोटैशियम 50 किग्रा प्रति हेक्टेयर डालें।

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