इस समय गर्मी के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जियों जैसे लौकी, कद्दू, करेला, तोरई, खीरा और टिण्डा की बुवाई के लिए उपयुक्त समय है। इनकी बुवाई मध्य फरवरी से मध्य मार्च तक की जा सकती है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इन फसलों की उन्नत किस्मों का चयन कर बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
कद्दूवर्गीय सब्जियों के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसमें पीएच मान 6 से 7.5 के बीच हो, सबसे उपयुक्त मानी जाती है। भूमि परीक्षण के आधार पर गोबर की खाद या कम्पोस्ट का प्रयोग करें। बुवाई के लिए नालियां या उठी हुई क्यारियां तैयार करें। खेतों में नालियों की चौड़ाई करीब– 40-50 सेमी, नालियों की गहराई – 30-40 सेमी इसके अलावा कतारों से कतारों की दूरी करीब– 2-4 मीटर रखें।
बीज दर एवं उपचार:
बुवाई से पहले बीजों को फफूंदनाशक काबेंडाजिम + मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करें।
खाद, उर्वरक एवं सिंचाई प्रबंधन:
ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुवाई और देखभाल: भिंडी की बुवाई फरवरी से मार्च तक कर सकते हैं। उन्नत किस्में परभनी क्रांति, अर्का अभय, वीआरओ-5, वीआरओ-6, अर्का अनामिका। पीला मोजेक वायरस से बचाव के लिए थायोमिथाक्जाम 30 एफएस (10 मिली प्रति किग्रा बीज) या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस (1.25 मिली प्रति किग्रा बीज) से बीज उपचार करें।
भिंडी की बुवाई तकनीक:
भिंडी में खाद प्रबंधन: बुवाई से पूर्व 2-2.5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिलाएं। रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग नाइट्रोजन – 60 किग्रा, फॉस्फोरस 30 किग्रा और पोटैशियम 50 किग्रा प्रति हेक्टेयर डालें।