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खाद्यान्न सुरक्षा और पोषण सुधार के लिए सरकार की प्रमुख योजनाओं से जुड़े सभी पहलुओं को जानें

खाद्यान्न सुरक्षा और पोषण सुधार
खाद्यान्न सुरक्षा और पोषण सुधार

भोजन एक मूलभूत आवश्यकता है और इसकी उपलब्धता के साथ-साथ पोषण स्तर बनाए रखना संपूर्ण कल्याण के लिए आवश्यक है। इस दिशा में सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाएँ लागू की हैं, जो न केवल उचित मूल्य पर आवश्यक खाद्य सामग्री प्रदान करती हैं, बल्कि नवजात शिशुओं और माताओं के पोषण पर भी विशेष ध्यान देती हैं। ये योजनाएँ समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और प्रत्येक नागरिक को पर्याप्त पोषण प्रदान करने के उद्देश्य से संचालित की जा रही हैं।

1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली Public Distribution System (PDS):

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) खाद्यान्नों की आपूर्ति प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो सस्ती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराकर देश की खाद्य अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  1. 100% डिजिटाइज्ड राशन कार्ड: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 20.5 करोड़ राशन कार्ड धारकों का डेटा डिजिटाइज्ड किया जा चुका है।
  2. आधार सीडिंग: 99.8% राशन कार्डधारकों के कम से कम एक सदस्य का आधार सीडिंग हो चुका है।
  3. ई-पॉस मशीनें: देशभर में 99.6% उचित मूल्य दुकानों (FPS) को ई-पॉस उपकरणों से लैस किया गया है, जिससे खाद्यान्न वितरण प्रक्रिया अधिक पारदर्शी हो गई है।
  4. बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण: 97% से अधिक लेन-देन आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से रिकॉर्ड किए गए हैं।

2. पीएम पोषण (POSHAN Shakti Nirman) योजना:

पीएम पोषण योजना, जिसे पहले मिड-डे मील योजना के रूप में जाना जाता था, का मुख्य उद्देश्य स्कूलों में नामांकन, उपस्थिति और प्रतिधारण दर को बढ़ाना है। यह योजना 1995 में राष्ट्रीय प्राथमिक शिक्षा पोषण सहायता कार्यक्रम (NP-NSPE) के रूप में शुरू हुई थी और बाद में इसका विस्तार ऊपरी प्राथमिक कक्षाओं तक कर दिया गया।

प्रमुख उपलब्धियाँ: केंद्र सरकार ने ₹54,061.73 करोड़ एवं राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों ने ₹31,733.17 करोड़ का वित्तीय प्रावधान किया है। केंद्र सरकार ₹45,000 करोड़ की अतिरिक्त लागत वहन करेगी, जिससे कुल बजट ₹1,30,794.90 करोड़ तक पहुँच जाएगा। वर्ष 2008-09 में योजना के लिए ₹6,539.52 करोड़ आवंटित किए गए थे, जो 2023-24 में बढ़कर ₹8,457.74 करोड़ हो गए।

3. पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (PMFME) योजना:

₹10,000 करोड़ की इस योजना के तहत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान की जाती है।

प्रमुख उपलब्धियाँ: 2021-22 में ₹390.99 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹5,198.3 करोड़। 2021-22 में 2,885 इकाइयों से बढ़कर 2023-24 में 54,730 इकाइयाँ स्थापित हुईं। 2021-22 में 14,201 नौकरियों से बढ़कर 2023-24 में 1,88,802 नौकरियाँ सृजित हुईं।

4. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (PLISFPI): खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना 31 मार्च 2021 से 2026-27 तक चलाई जायेगी। ₹10,900 करोड़ के बजट वाली इस योजना के तहत भारतीय खाद्य ब्रांडों को वैश्विक बाजारों में प्रमोट करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  1. निवेश में वृद्धि: योजना के तहत अब तक 213 स्थानों पर ₹8,910 करोड़ का निवेश किया गया।
  2. रोजगार सृजन: 31 अक्टूबर 2024 तक योजना के तहत 2.89 लाख नौकरियाँ सृजित हो चुकी हैं।
  3. परियोजना लागत में बढ़ोतरी: 2020-21 में योजना की लागत ₹663 करोड़ थी, जो 2023-24 में बढ़कर ₹8,910 करोड़ हो गई।

5. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY): कोविड-19 महामारी के दौरान आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार ने 81.35 करोड़ लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त वितरित करने की घोषणा की थी।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  1. 28 महीनों तक निःशुल्क खाद्यान्न वितरण किया गया।
  2. 75 करोड़ से अधिक लाभार्थियों ने योजना का लाभ उठाया।
  3. 2024 से 5 वर्षों तक NFSA लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाएगा।
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