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महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर होती है और यह यहां की मुख्य तेल-बीज वाली फसलों में से एक है। 18 सितंबर 2024 के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र के अलग-अलग मंडियों में सोयाबीन के भाव उसकी गुणवत्ता और आवक के आधार पर बदल रहे हैं। इस लेख में हम आपको महाराष्ट्र के प्रमुख मंडी केंद्रों में सोयाबीन के ताज़ा भाव और फसल की आवक से जुड़ी जानकारी प्रदान करेंगे।
महाराष्ट्र की मंडियों में सोयाबीन के भाव फसल की गुणवत्ता, मौसम और बाजार की मांग-आपूर्ति पर निर्भर करते हैं। नीचे दी गई तालिका में 18 सितंबर 2024 के प्रमुख मंडियों के ताज़ा भाव दिए गए हैं।
मंडी का नाम | आवक (टन में) | वैरायटी | न्यूनतम मूल्य (₹/क्विंटल) | अधिकतम मूल्य (₹/क्विंटल) | मोडल मूल्य (₹/क्विंटल) |
मालेगांव (वाशिम) | 16 | अन्य | ₹ 4,400 | ₹ 4,675 | ₹ 4,500 |
अमरावती | 183.6 | अन्य | ₹ 4,500 | ₹ 4,601 | ₹ 4,550 |
अर्णी | 14 | पीला | ₹ 3,800 | ₹ 4,500 | ₹ 4,250 |
अचलपुर | 10 | अन्य | ₹ 4,300 | ₹ 4,400 | ₹ 4,350 |
अर्वी | 11 | पीला | ₹ 4,000 | ₹ 4,535 | ₹ 4,350 |
बाबुलगांव | 34.2 | पीला | ₹ 4,500 | ₹ 4,755 | ₹ 4,600 |
भोकर्डन (पिंपलगांव रेनू) | 1.2 | पीला | ₹ 4,400 | ₹ 4,600 | ₹ 4,500 |
चांदूर बाजार | 14.2 | अन्य | ₹ 5,311 | ₹ 5,311 | ₹ 5,311 |
हिंगनघाट | 138.1 | पीला | ₹ 2,800 | ₹ 4,650 | ₹ 3,800 |
मनोरा | 12 | अन्य | ₹ 3,801 | ₹ 4,675 | ₹ 4,205 |
नागपुर | 1.5 | अन्य | ₹ 4,100 | ₹ 4,200 | ₹ 4,150 |
नेर पारसोपंत | 6 | पीला | ₹ 4,300 | ₹ 4,665 | ₹ 4,561 |
राहटा | 0.6 | अन्य | ₹ 4,250 | ₹ 4,600 | ₹ 4,500 |
सवनेर | 1 | पीला | ₹ 3,500 | ₹ 4,376 | ₹ 4,200 |
वर्धा | 0.5 | पीला | ₹ 4,010 | ₹ 4,385 | ₹ 4,200 |
यवतमाल | 8 | पीला | ₹ 4,255 | ₹ 4,540 | ₹ 4,397 |
महाराष्ट्र की अलग-अलग मंडियों में सोयाबीन की कीमतों में काफी भिन्नता देखी गई। उदाहरण के लिए, चांदूर बाजार में सोयाबीन का अधिकतम भाव ₹5,311 प्रति क्विंटल है, जबकि हिंगनघाट में न्यूनतम भाव ₹2,800 प्रति क्विंटल है। ये भिन्नताएँ मुख्य रूप से मंडी में फसल की आवक और उसकी गुणवत्ता पर निर्भर करती हैं।
निष्कर्ष: महाराष्ट्र के किसानों के लिए यह आवश्यक है कि वे मंडी के ताज़ा भावों पर नज़र रखें, ताकि सही समय पर अपनी फसल को सही जगह पर बेच सकें। मंडियों में सोयाबीन की कीमतों में बदलाव फसल की गुणवत्ता, मौसम और बाजार की मांग पर निर्भर करते हैं, इसलिए किसानों को इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अपनी फसल बेचने की योजना बनानी चाहिए।