मध्यप्रदेश सरकार के नेतृत्व में किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकार किसानों को सशक्त बनाने और कृषि को लाभदायक व्यवसाय में बदलने के लिए सतत प्रयासरत है।
सोयाबीन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में मिशन सोयाबीन शुरू किया गया है, जिसके तहत अगले पांच वर्षों में उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा संचालित नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स को भी राज्य में प्रभावी रूप से लागू किया जा रहा है। पारंपरिक धान की फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा जीरा शंकर, राजभोग, विष्णुभोग, चिन्नौर और कालीमूंछ जैसी देसी धान किस्मों के संरक्षण और उन्नत किस्मों के विकास पर कार्य किया जा रहा है। इसी तरह, शरबती गेहूं जैसी देशी किस्मों के संरक्षण और संवर्धन को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
सरसों किसानों को सहयोग देने के लिए विशेष किसान उत्पादक संगठन (FPOs) स्थापित किए जा रहे हैं और सहकारी तेल मिलों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जा रहा है। सरसों उत्पादन वाले प्रमुख जिलों के प्रत्येक ब्लॉक में सरसों खरीद केंद्र बनाए गए हैं। सरकार सरसों के उत्पादन को और अधिक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही, अरहर, मूंग, उड़द और मसूर जैसी दालों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद प्रक्रिया को भी और अधिक सुदृढ़ किया गया है, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके।
किसानों को मिले गुणवत्तापूर्ण बीज और स्वास्थ्य कार्ड:
बीजग्राम कार्यक्रम के तहत अब तक 2,92,750 किसानों को 80,275 क्विंटल बीज वितरित किए जा चुके हैं। वहीं, मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) योजना के माध्यम से किसानों को उर्वरकों के संतुलित उपयोग और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब तक 9,73,250 किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं, जिससे वे वैज्ञानिक तरीकों के आधार पर फसल उत्पादन का अनुकूलन कर सकते हैं। इन पहलों के माध्यम से राज्य सरकार कृषि उत्पादन बढ़ाने, किसानों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने और उनकी आय में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयासरत है।