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मध्यप्रदेश के किसानों के परिश्रम से बढ़ा का सोयाबीन उत्पादन, विपरीत मौसम में राहत और फसल सुरक्षा उपाय

सोयाबीन उत्पादन में उछाल
सोयाबीन उत्पादन में उछाल

मध्यप्रदेश देश का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक राज्य बनकर उभरा है। देश के कुल सोयाबीन उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा अकेले मध्यप्रदेश से आता है। यह सफलता किसानों के परिश्रम और राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में उठाए गए प्रभावी कदमों का परिणाम है। खरीफ सीजन में सोयाबीन सबसे अधिक बोई जाने वाली फसल है, और इसके रकबे एवं उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है।

मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को आश्वस्त किया है कि प्राकृतिक आपदा से फसलों को होने वाले नुकसान की स्थिति में राहत राशि प्रदान की जाएगी। प्रदेश में मौसम परिवर्तन के चलते किसानों को किसी भी संकट में सरकार ने उनके साथ खड़े रहने का भरोसा दिया है। इसके अलावा राज्य सरकार किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए हरसंभव सुविधा उपलब्ध कराती है। ऐसे छोटे किसान, जिनकी फसल का उपार्जन नहीं हो पाता और वे अपने स्तर पर फसल बेचते हैं, उनके लिए प्रति हेक्टेयर सहायता राशि या बोनस के संबंध में जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। 

सोयाबीन उत्पादन में उछाल Boom in soybean production:

गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष प्रदेश में सोयाबीन के रकबे में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्तमान में प्रदेश का सोयाबीन रकबा 66 लाख हेक्टेयर से अधिक हो चुका है। अनुमान है कि 31 दिसंबर तक राज्य में लगभग 6.5 से 7 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन का उपार्जन पूरा हो जाएगा। राज्य ने महाराष्ट्र और राजस्थान को पीछे छोड़ते हुए सोयाबीन उत्पादन में शीर्ष स्थान हासिल किया है।

किसानों को मिला समर्थन मूल्य: मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को सोयाबीन के लिए प्रति क्विंटल 4,892 रुपये की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की सुविधा प्रदान की है। यह पहल किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

भुगतान में अग्रणी जिले Leading districts in payment:

अब तक लगभग 2 लाख किसानों को 1,957.1 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया जा चुका है। भुगतान का औसत प्रतिशत 70.41 है। नीमच जिला भुगतान में शत-प्रतिशत सफलता हासिल कर सबसे आगे है। इसके अलावा, विदिशा, राजगढ़, नर्मदापुरम, आगर मालवा, शहडोल, अनूपपुर, जबलपुर, उमरिया, और खरगौन जैसे 10 जिले ऐसे हैं, जहां 75 प्रतिशत से अधिक किसानों को भुगतान किया जा चुका है।

फसलों को नुकसान पर जिला स्तर पर कार्रवाई: ओला, पाला, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को होने वाले नुकसान पर जिला स्तर पर अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे किसानों की सहायता के लिए आवश्यक कदम उठाएं। साथ ही सरकार ने किसानों और नागरिकों से अपील की है कि वे मौसम की स्थिति पर नजर रखें और हरसंभव सावधानियां बरतें ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

फसल और स्वयं की सुरक्षा के उपाय: मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील की है कि वे विपरीत मौसम में अपनी फसलों और स्वयं की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरतें। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खुले ट्यूब वेल रखना प्रतिबंधित है। यदि कोई ट्यूब वेल खुला छोड़ा जाता है तो तुरंत नजदीकी थाने में सूचना दी जाए। मुख्यमंत्री ने नागरिकों से भी आग्रह किया है कि असमय बारिश, ठंड, और अन्य मौसमी बदलावों से बचाव के लिए सतर्क रहें।

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