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पर्यावरण की सुरक्षा के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देशानुसार फसल अवशेषों (पराली) को खेतों में जलाना प्रतिबंधित किया गया है। जिले में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण और आग की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए कलेक्टर सतना अनुराग वर्मा और कलेक्टर मैहर रानी बाटड ने प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं। उन्होंने संबंधित अनुविभागीय दंडाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पराली जलाने के मामलों में तत्काल जुर्माना लगाया जाए और घटना का पंचनामा तैयार किया जाए। साथ ही, दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
उप संचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास ने बताया कि कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय, भोपाल द्वारा सैटेलाइट मॉनिटरिंग की गई। इसकी रिपोर्ट के अनुसार, 19 नवंबर से 24 नवंबर के बीच जिले में पराली जलाने की 223 घटनाएं रिकॉर्ड की गईं।
जिलेवार घटनाओं का विवरण:
उप संचालक कृषि ने सैटेलाइट मॉनिटरिंग रिपोर्ट को संबंधित अनुविभागीय दंडाधिकारियों के साथ साझा किया है। जिला दंडाधिकारी के निर्देशानुसार सभी घटनाओं पर आवश्यक कार्रवाई करने और दोषियों के खिलाफ जुर्माना एवं दंडात्मक कदम उठाने का अनुरोध किया गया है।
पर्यावरण बचाने की अपील: पराली जलाने से पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचता है और वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि वे पराली जलाने से बचें और सरकार द्वारा प्रदान की गई वैकल्पिक समाधान विधियों को अपनाएं। इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि फसल अवशेषों का सही उपयोग भी सुनिश्चित हो सकेगा।