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पंजाब में स्थानीय प्रदूषण बढ़ने के बावजूद पराली जलाने की घटनाओं पर लगाम नहीं लग पा रही है। नवंबर महीने की शुरुआत से ही इन घटनाओं में तेजी आई है। यही वजह है कि इस सीजन में राज्य में पराली जलाने की कुल घटनाओं की संख्या 8,000 के पार पहुंच चुकी है।
पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, संगरूर जिले में सबसे अधिक 50 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि फिरोजपुर में 30, बरनाला में 17 और पटियाला में 12 मामले सामने आए। पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना करने के बावजूद इन घटनाओं में कमी नहीं आ रही है।
हालांकि, पिछले वर्षों की तुलना में इस बार पराली जलाने की घटनाओं में 75 प्रतिशत तक कमी दर्ज की गई है। नवंबर 2022 और 2023 को क्रमशः 1,358 और 1,271 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि इस साल यह संख्या तुलनात्मक रूप से कम है। पंजाब में 15 सितंबर से 16 नवंबर तक पराली जलाने की लगभग 8,000 घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। वहीं, 2022 में इसी अवधि के दौरान 46,822 और 2023 में 31,932 घटनाएं दर्ज की गई थीं। इस बार पराली जलाने की 50 प्रतिशत घटनाएं नवंबर माह में दर्ज की गई हैं।
इन वर्षों में संगरूर, मानसा, बठिंडा और अमृतसर जैसे जिलों में सबसे अधिक मामले सामने आए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्र सरकार ने हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों में जुर्माना दोगुना कर दिया है। इसके बावजूद, पराली जलाने की समस्या पर पूरी तरह से नियंत्रण पाने में अब भी कठिनाई हो रही है। पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं का रिकॉर्ड देखें तो:
पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण न केवल स्थानीय बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है। इसे रोकने के लिए सरकार को नीतियों और किसानों के लिए वैकल्पिक उपायों को और सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
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