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बिहार राज्य सरकार किसानों की आय और कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन जानकारी न होने के चलते किसान इनका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसे में khetivyapar.com ने बीड़ा उठाया है किसान भाईयों को ऐसी लाभकारी योजनाओं की जानकारी देने का। इसी क्रम में आज हम बिहार के किसान भाईयों को बताने जा रहे हैं राज्य में मखाने की खेती को प्रोत्साहन देने को लेकर बिहार सरकार की ओर से दी जा रही मदद का। इसके लिए बिहार सरकार के कृषि एवं उद्यानिकी विभाग की ओर से किसानों को मखाने की खेती करने के लिए 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। मखाने की खेती करने पर 75 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने को लिए बिहार के किसानों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। यह आवेदन प्रकिया 5 सितंबर से शुरू हो गई है। किसान सरकार की इस योजना से लाभ उठा कर मखाने की खेती करके अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
दरअसल, उद्यान निदेशालय की ओर से मखाने की खेती (Makhana Farming) को प्रोत्साहित करने के लिए मखाना विकास योजना शुरू की गई है। इसके तहत किसानों को मखाने की खेती करने पर 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। योजना के अंतर्गत किसानों को मखाना की खेती करने के लिए अनुदान राशि पर बीज दिया जाएगा। मखाना के उच्च प्रजाति के बीज लगाने की प्रति हेक्टेयर इकाई लागत राशि 97 हजार रुपए निर्धारित की गई है. योजना के अंतर्गत किसानों को लागत मूल्य का 75 प्रतिशत या अधिकतम 72 हजार 750 रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाएगा।
इन जिलों के किसान कर सकते हैं सब्सिडी के लिए आवेदन: मखाना विकास योजना के तहत बिहार राज्य के 11 जिलों का चयन किया है। इसके तहत कटिहार, दरभंगा, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, अररिया, पश्चिम चंपारण, मधेपुरा, मधुबनी और सीतामढ़ी जिलों के किसान योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं। योजना के तहत 5 सितंबर से 20 सितंबर तक 2022 तक ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता हैं। किसान अपने निकटतम सीएससी सेंटर से या फिर उद्यानिकी विभाग बिहार की वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।योजना की अधिक जानकारी के लिए किसान संबंधित जिले के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क कर सकते हैं।
बता दें कि बिहार के मखाने को जीआई टैग मिला हुआ है। मखाने के बाजार भाव काफी अच्छे मिलने के चलते पूरे साल इसकी मांग बाजार में बनी रहती है। इससे बिहार के मखाने के निर्यात का रास्ता भी खुल गया है। वहीं, जीआई टैग मिलने से राज्य के किसानों को काफी फायदा होगा।