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भारत में बिहार मखाने का सबसे बड़ी उत्पादक है। विश्व में मखाना उत्पादन का 80 से 90 फीसदी हिस्सा बिहार से ही आता है। बिहार के मिथिला मखाना को सरकार से जीआई टैग भी मिला हुआ है। देश-विदेश में मखाने को सुपरफूड के तौर पर जानने लगे हैं, इसलिए सरकार इसके क्वालिटी उत्पादन पर फोकस कर रही है। इसी क्रम में राज्य सरकार ने मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए मखाना विकास योजना नाम की स्कीम की शुरुआत की है। इसके तहत मखाने की खेती और बीज उत्पादन के लिए किसानों को 50 से 75 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। इसके लिए मखाना अनुसंधान केंद्र भी बनाया गया है। किसान अगर पारंपरिक फसलों से हटकर कृषि क्षेत्र में कुछ नया करना चाहते हैं तो मखाने की खेती एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है।
मखाने के होते हैं दो किस्म : राज्य में मखाने के उच्च प्रजाति के बीज उत्पादन को बढ़ावा देने कि लिए ये योजना चलाई जा रही है। सरकार किसानों को मखाने की नई प्रजाति के बीज उपलब्ध कराएगी। बता दें कि बिहार में स्वर्ण वैदेही और सबौर मखाना-वन जैसी अधिक उपज वाली किस्मों के कारण इसकी उत्पादकता 16 टन प्रति हेक्टेयर से बढक़र 28 टन प्रति हेक्टेयर हो गई है। साबौर मखाना-1 और स्वर्ण वैदेही प्रभेद को काफी प्रमोट किया जा रहा है।
इतना मिलेगा अनुदान : राज्य सरकार के अनुसार राज्य में मखाने की उन्नत प्रजाति के बीज की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 97,000 रुपए की लागत आती है। इस पर किसानों को 75 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। यह अधिकतम 72,750 रुपए है। इस हिसाब से किसान को सिर्फ 24,250 रुपये ही खर्च करने होंगे। जिन आठ जिलों के किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा इसमें कटिहार, दरभंगा, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, अररिया, पश्चिम चम्पारण जिलों को शामिल किया गया है।
यहां करें आवेदन : मखाने की खेती पर अनुदान का लाभ प्राप्त करने के लिए संबंधित जिले के किसान उद्यानिकी विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के इच्छुक किसान horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा सीएससी पर जाकर भी किसान इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड, बैंक पासबुक, कृषि भूमि के कागजात, मोबाइल नंबर आदि लगेंगे।