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पहले आओ, पहले पाओ आधार पर लाभ: राष्ट्रीय बागवानी मिशन अंतर्गत गेंदा फूल की खेती योजना (2024-25) का लाभ 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर दिया जाएगा। यह योजना किसानों को एक नई दिशा और अवसर प्रदान करती है, जिससे वे अपने बागवानी उत्पादन को बढ़ावा दे सकते हैं।
यह योजना राज्य के 23 जिलों में संचालित है, जिनमें अररिया, औरंगाबाद, बाँका, बेगूसराय, भागलपुर, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, गया, जमुई, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, मधुबनी, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पटना, पुर्णियाँ, रोहतास, सहरसा, समस्तीपुर, वैशाली और पश्चिमी चंपारण शामिल हैं। इन जिलों में किसान गेंदा फूल की खेती करके अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं।
गेंदा फूल की खेती के लिए किसान के पास जमीन होना आवश्यक है। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों के पास भूमि परित्याग प्रमाणपत्र (एल० पी० सी०) और अद्यतन रसीद होना चाहिए। जिन किसानों के पास जमीन नहीं है, वे एकरारनामा के आधार पर योजना का लाभ ले सकते हैं।
इस योजना लाभ की सीमाएँ: योजना के तहत एक किसान को अधिकतम 4 हेक्टेयर और न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर तक का लाभ मिल सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि छोटे और बड़े दोनों प्रकार के किसान इस योजना का लाभ उठा सकें और अपने उत्पादन को बढ़ावा दे सकें।
अनुदान और इकाई दर: गेंदा फूल की खेती योजना के लिए इकाई दर ₹40,000 प्रति हेक्टेयर है, जिसमें 70% अनुदान दिया जाता है। इससे किसानों को खेती के खर्चों में राहत मिलेगी और वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकेंगे।
गेंदा की खेती पर सब्सिडी के लिए आवश्यक दस्तावेज:
आवेदन करने की सरल प्रक्रिया:
निष्कर्ष: राष्ट्रीय बागवानी मिशन अंतर्गत गेंदा फूल की खेती योजना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। इससे वे अपनी खेती के तरीकों में सुधार कर सकते हैं और अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को आवश्यक दस्तावेजों के साथ जल्द से जल्द आवेदन करना चाहिए और इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।