सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाई) भारत की करोड़ों बेटियों के लिए आशा और सशक्तिकरण की किरण बनकर उभरी है। यह योजना 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के अंतर्गत शुरू की गई थी, बेटियों के सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। 22 जनवरी 2025 को सुकन्या समृद्धि योजना की 10वीं वर्षगांठ है, जो परिवारों को अपनी बेटियों के उज्ज्वल भविष्य में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है और समावेश और प्रगति की संस्कृति को बढ़ावा देती है।
आज, 4.1 करोड़ से अधिक सुकन्या समृद्धि खाते (नवंबर 2024 तक) खोले जा चुके हैं। यह केवल आंकड़ा नहीं, बल्कि हर बेटी के उज्ज्वल और समान भविष्य की ओर बढ़ते भारत का प्रतीक है। इस योजना के माध्यम से बेटियों की क्षमता का उत्सव मनाया जाता है और यह विश्वास मजबूत होता है कि एक बेटी को सशक्त बनाना समाज की नींव को मजबूत बनाना है।
खाता खोलना: खाता, बच्ची के जन्म के तुरंत बाद से लेकर 10 वर्ष की आयु तक खोला जा सकता है। यह योजना केवल उन्हीं बेटियों के लिए है जो खाता खोलने से लेकर परिपक्वता/बंद होने तक भारतीय निवासी बनी रहें। प्रत्येक बच्ची के लिए केवल एक खाता खोला जा सकता है, जबकि माता-पिता अधिकतम दो खाते खोल सकते हैं। जुड़वां या तीन बच्चों के मामले में अपवादस्वरूप अतिरिक्त खाता खोलने की अनुमति है। खाता भारत में किसी भी स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है।
खाता खोलने के लिए आवश्यक दस्तावेज़:
जमा राशि: यह योजना डाकघर या नामित बैंक शाखाओं में ₹250 की न्यूनतम राशि से खाता खोलने की अनुमति देती है। उसके बाद, ₹50 के गुणक में राशि जमा की जा सकती है, बशर्ते कि प्रति वित्तीय वर्ष कम से कम ₹250 जमा किए जाएं। अधिकतम वार्षिक जमा सीमा ₹1,50,000 है।
खाते का प्रबंधन: खाता तब तक संरक्षक द्वारा प्रबंधित किया जाता है जब तक बच्ची 18 वर्ष की नहीं हो जाती। इसके बाद वह स्वयं खाता संचालित कर सकती है।
ब्याज की गणना: खाते में जमा राशि पर ब्याज का मासिक आधार पर गणना की जाती है और हर वित्तीय वर्ष के अंत में खाते में जमा किया जाता है।
परिपक्वता और समयपूर्व बंद करना: खाता, खोलने की तिथि से 21 वर्ष पूरे होने पर परिपक्व होता है। विशेष परिस्थितियों जैसे शादी, गंभीर स्वास्थ्य समस्या या संरक्षक की मृत्यु के मामले में समयपूर्व खाता बंद करने की अनुमति दी जाती है।
शिक्षा के लिए 50% राशि की निकासी: बच्ची की 18 वर्ष की आयु या दसवीं कक्षा पूरी होने के बाद खाते से 50% राशि निकाली जा सकती है, बशर्ते इसका उपयोग शिक्षा संबंधी खर्चों के लिए किया जाए।
बेटियों के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक सशक्त कदम: सुकन्या समृद्धि योजना केवल एक वित्तीय योजना नहीं, बल्कि बेटियों के लिए एक उज्ज्वल और समान भविष्य की दिशा में एक आंदोलन है। यह योजना देशभर के परिवारों को अपनी बेटियों को शिक्षित और सशक्त बनाने में मदद करती है, जिससे समाज की नींव और मजबूत होती है।