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धान की इन किस्मों से बढ़ेगी किसानों की इनकम! बचेगा कीटनाशक का खर्च, मौसम की मार इन म्यूटेंट्स पर बेअसर

धान की इन किस्मों से बढ़ेगी किसानों की इनकम! बचेगा कीटनाशक का खर्च, मौसम की मार इन म्यूटेंट्स पर बेअसर
धान की इन किस्मों से बढ़ेगी किसानों की इनकम! बचेगा कीटनाशक का खर्च, मौसम की मार इन म्यूटेंट्स पर बेअसर

बासमती धान विश्व में अपनी खास सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। बासमती धान की खेती भारत में सैकड़ों वर्षों से हो रही है। भारत और पाकिस्तान को बासमती धान का जनक माना जाता है। फसल उत्पादन बढ़ाने के वैज्ञानिक नई-नई किस्में तैयार कर रहे हैं। इनसे उत्पादन भी बढ़ता है और किसानों की आय में बढ़ोतरी भी होती है। इसी कड़ी में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई के सहयोग से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में म्यूटेशन ब्रीडिंग द्वारा बासमती धान की सुगंधित और एडवांस किस्में विकसित की गई हैं। ये धान की म्यूटेंट वैरायटी हैं, जो साधारण किस्मों से कहीं बेहतर उत्पादन देती है। इन किस्मों में कीट-रोगों के प्रकोप की संभावना भी कम ही रहती है, इसलिए कीटनाशक का खर्च भी बच जाता है। 

मौसम की मार से खराब हो जाती हैं फसलें

धान के सुगंधित किस्मों के पौधों की लंबाई अधिक होती है। साथ ही ये किस्में लंबे समय में पककर तैयार होती हैं। इस कारण कटाई का समय नजदीक आने तक ये फसलें मौसम बदलने से खराब हो जाती हैं। ऐसे में किसानों को नुकसान से बचाने के लिए ये म्यूटेंट तैयार किए जाते हैं। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई के सहयोग से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में म्यूटेशन ब्रीडिंग द्वारा धान की सुगंधित किस्मों के बीज तैयार किए जा रहे।

धान की इन किस्मों की विशेषताएं और लाभ

1. धान की म्यूटेंट किस्मों के इस्तेमाल से उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।

2. गुणवत्ता के मामले में ये म्यूटेंट की गई किस्में धान की अन्य किस्मों से बेहतर हैं। 

3. इसमें रोग और कीट के प्रकोप की संभावना कम पाई गई है हालांकि बुवाई से पूर्व बीजों को उपचारित किया जाना आवश्यक है। 

5. सुगंधित धान की परंपरागत किस्मों की अवधि और ऊंचाई कम करने तथा उपज बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।  

पूसा बासमती- 6 (पूसा- 1401)

ये किस्म देश के बासमती, धान उगाने वाले समस्त क्षेत्र और सिंचित अवस्था में बुवाई के लिए उपयुक्त मानी गई है। धान की यह सुगंधित माध्यम बौनी किस्म है, जो पकने पर गिरती नहीं है। तेज हवा, आंधी का भी इस पर कोई असर नहीं पड़ता है। इस धान से निकलने वाला एक-एक चावल समान आकार का होता है। इसमें सुगंध बहुत अच्छी आती है एवं दूधिया दानों की संख्या 4 प्रतिशत से कम है। इस किस्म की प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता 55 से 60 क्विंटल तक है। 

उन्नत पूसा बासमती- 1 (पूसा- 1460)

ये किस्म देश के बासमती धान उगाने वाले समस्त क्षेत्र और सिंचित अवस्था में बुवाई के लिए उपयुक्त पाई गई है। ये अधिक उत्पादन देने वाली किस्म है। इस किस्म का धान झुलसा रोग प्रतिरोधी है। ये सुगंधित किस्म 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसकी उत्पादन क्षमता 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

पूसा बासमती- 1121

पूसा बासमती-1121 भी उपर्युक्त दो म्यूटेंट की तरह ही बोई जाती है। सुगंधित बासमती धान की यह किस्म 140 से 145 दिनों में पक जाती है। इसका दाना लंबा (8.0 मिलीमीटर) व पतला होता है। इसकी पैदावार क्षमता 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 

पूसा सुगंध- 5 (पूसा- 2511)

धान की ये किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर और सिंचित अवस्था में खेती के लिए उपयुक्त पाई गई है। इस सुगंधित किस्म का दाना लंबा होता है। यह किस्म भूरे धब्बे की प्रतिरोधी है। यह किस्म 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इससे 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिलती है। इनके अलावा पूसा सुगंध-3, पूसा सुगंध-2 भी इस किस्म से मिलती जुलती हैं। 

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