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शकरकंद को उसके पौष्टिक तत्वों के लिए जाना जाता है। देश में शकरकंद की खेती बड़े स्तर पर होती है। बाजार में इसकी मांग भी अब बढ़ गई है। शकरकंद की बुवाई के लिए सितंबर और अक्टूबर महीने का पहला पखवाड़ा सबसे बेहतर माना जाता है। वैसे तो शकरकंद की 400 से अधिक किस्में हैं, जिसकी खेती करके किसान बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं।
देश में लगभग 2 लाख हेक्टेयर में शकरकंद की खेती की जाती है। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। शकरकंद को एंटीऑक्सीडेंट और अल्कोहल के रूप में भी उपयोग किया जाता है साथ ही यह एक बारहमासी बेल है। शकरकंद उबालकर और भूनकर ऐसे ही खाया जाता है।
शकरकंद की खेती सभी तरह के मौसम में की जा सकती है, लेकिन इसकी बेहतर उपज के लिए इसे गर्मी और बारिश में लगाना अच्छा रहता है। जायद यानी ग्रीष्मकालीन मौसम में इसके पौधों की रोपाई जून से अगस्त माह के मध्य में की जाती है। इसके बाद इसे दिसंबर-जनवरी के माह में धान की दूसरी कटाई के बाद बोया जाता है।
शकरकंद की उन्नत किस्में:
शकरकंद की खेती के लिए जलवायु तथा मिट्टी: शकरकंद की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली दोमट या चिकनी मिट्टी बेहतर मानी जाती है जिसमें कार्बनिक तत्व भरपूर मात्रा मे हों। इसके लिये मिट्टी का पीएच मान 5.7 से 6.8 के बीच होना चाहिए। इसकी खेती के लिए शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त मानी जाती है। इसकी खेती के लिए तापमान 22 से 26 के बीच होना चाहिए और बारिश 75 से 150 सेंटीमीटर ठीक रहती है। शकरकंद के पौधे 25 से 34 डिग्री तापमान में अच्छी तरह से ग्रोथ करते हैं।
शकरकंद की खेती कैसे करें: शकरकंद की खेती के लिये पहले खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए। फिर इसे कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दे जिससे मिट्टी में उपस्थित कीट, पुराने फसल अवशेष या खरपतवार नष्ट हो जाए। इसके बाद 150 से 180 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हैक्टेयर के हिसाब से खेत में डाल दें। इसके बाद रोटावेटर से 2-3 जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें, फिर तैयार खेत में शकरकंद की बुवाई करें। शकरकंद के पौधों की रोपाई नर्सरी में तैयार की गई कटिंग के रूप में भी कर सकते हैं। इसके लिए पौधों को एक महीने पहले तैयार किया जाता है। इसके लिए नर्सरी में बीजों की बुवाई करके उसकी बेल तैयार की जाती है। इसके बाद उसे उखाड़ कर उसकी कटिंग करके रोपाई की जाती है। इसके अलावा आप नर्सरी से भी पौधों को खरीद कर लगा सकते हैं।
रोपाई के समय कितनी रखें दूरी: शकरकंद के पौधों की रोपाई करते समय पौधे से पौधे की दूरी 1 फीट रखनी चाहिए और कटिंग को करीब 18-20 सेमी की गहराई पर बुवाई करें। पौधे की रोपाई के बाद उसे चारों ओर से मिट्टी से ढक देना चाहिए। इसके लिए क्यारियां बनाकर कतारों में लगाया जा सकता है। इसमें कतार से कतार की दूरी करीब 2 फीट रखनी चाहिए और पौधे से पौधे की दूरी 35-40 सेमी रखनी चाहिए।
शकरकंद के पौधों की सिंचाई: शकरकंद पौधे की सिचाई सही समय पर करना चाहिए। यदि शकरकंद की रोपाई गर्मी के मौसम की है तो सप्ताह में एक बार जरूर सिचाई करें। कन्दों के अच्छे विकास और अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत में पर्याप्त नमी बनाये रखनी चाहिए।
शकरकंद के फायदे: किसान कई तरह के फल और सब्जियों की खेती करते हैं, शकरकंद को स्वीट पोटैटो के नाम से भी जाना जाता है। यह एक जड़ वाली सब्जी होती है। इसमें कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जिस कारण इसे सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। इसमें आलू से अधिक स्टार्च और मिठास होता है। इतना ही नहीं इसमें फाइबर, विटामिन A, C और B6 के साथ ही पोटेशियम और मैंगनीज भरपूर मात्रा में पाया जाता है। शकरकंद का ग्लाइसेमिक इंडेक्स नॉर्मल आलू की तुलना में काफी कम होता है, जिससे यह ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने नहीं देता। इसके सेवन से चेहरे पर चमक और बालों की बढ़ोतरी होती है। इसका सेवन सर्दियों के दिनों में अधिक किया जाता है।
शकरकंद की खेती से कितना मुनाफा: अगर उन्नत किस्मों और जैविक उर्वरक का इस्तेमाल किया जाए तो इसकी खेती से काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। एक हैक्टेयर में शकरकंद की खेती से करीब 25 टन तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। बाजारों में शकरकंद का भाव 40-50 रुपए किलोग्राम बिकता है। इसे बेचकर करीब ढाई लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।