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कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष बागवानी उत्पादन में देखी जा सकती है वृद्धि

इस वर्ष बागवानी उत्पादन में वृद्धि
इस वर्ष बागवानी उत्पादन में वृद्धि

वर्ष 2023-24 में देश में बागवानी उत्पादन करीब 352.23 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो 2022-23 की तुलना में लगभग 32.51 लाख टन (0.91%) कम है। 2023-24 में फलों, शहद, फूलों, बागवानी फसलों जैसे सुगंधित मसालों और औषधीय पौधों के उत्पादन में वृद्धि देखी गई है जबकि सब्जियों में कमी जताई गई है। फलों के उत्पादन में 112.63 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है और सब्जियों के उत्पादन में लगभग 204.96 मिलियन टन होने पहुंचने की उम्मीद है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य सरकारी स्रोत एजेंसियों से मिली जानकारी तथा विभिन्न बागवानी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन के आधार पर जानकारी दी गई है।

फलों के उत्पादन में बढोत्तरी:

कृषि मंत्रालय ने कहा कि फलों का उत्पादन 112.63 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण केला, नींबू, आम, अमरूद और अंगूर का अधिक उत्पादन है। वहीं दूसरी ओर सेब एवं अनार के उत्पादन में कमी होने की उम्मीद है। सब्जियों का उत्पादन करीब 204.96 मिलियन टन होने का अनुमान है। फूलगोभी, लौकी, करेला, गोभी, कद्दू, टैपिओका, गाजर और टमाटर के उत्पादन में भी वृद्धि की उम्मीद जताई गई है, जबकि बैंगन, प्याज, आलू और दूसरी सब्जियों के उत्पादन में कमी रहने का अनुमान है। प्याज का उत्पादन 2023-24 में 242.12 लाख टन होने की उम्मीद है, जबकि पिछले वर्ष यह 302.08 लाख टन था, जो लगभग 60 लाख टन कम है। देश में आलू का उत्पादन 2023-24 में करीब 567.62 लाख टन होने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण बिहार और पश्चिम बंगाल में उपज में कमी है। 

उत्पादन बढ़ने से किसानों को मिलेगा फायदा: वैज्ञानिकों की सलाह और बेहतर तकनीक का प्रयोग अब अधिक होने लगा है। यही कारण है कि बागवानी फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी होती हुई दिख रही है। ये एक अच्छा संकेत है। आने वाले दिनों में इसका काफी लाभ हो सकता है। किसान उच्च क्वालिटी का बीज, पौधे का इस्तेमाल करते हैं। देखरेख में भी पहले के मुकाबले अधिक सतर्कता बरतनी शुरू की है। बागवानी फसलों के अधिक उत्पादन का फायदा किसानों को अच्छे से मिल सकता है। किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सकती है। 

किसानों को सहना पडता है नुकसान: किसान सब्जियों को उगाते हैं और बाजारों में बेचते हैं यदि बाजार में डिमांड कम रहती है तो किसानों को नुकसान सहना पडता है। जिस सब्जी की डिमांड ज्यादा रहती है, उसका दाम भी किसानों को ठीक नहीं मिल पाता है। जब-जब सब्जी उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है, किसानों को नुकसान ही हुआ है। मध्य प्रदेश के खंडवा में सब्जी का सही दाम न मिलने से परेशान एक किसान ने फ्री में प्याज बांट दिया था प्याज आज 50 से 60 रुपये किलो बिक रहा है। अगर सही से स्टोरेज की क्षमता किसान के पास होती तो किसान को नुकसान नहीं उठाना पड़ता।

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