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कृषि विकास और उत्पादन की गतिशीलता को अगले स्तर तक ले जाने के लिए बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) की भूमिका महत्वपूर्ण है। केवल बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से, विशेष रूप से कटाई के बाद, मूल्य संवर्धन और किसानों के लिए उचित सौदे के अवसर के साथ उत्पाद का इष्टतम उपयोग किया जा सकता है। इसी को ध्यान में रख कर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एग्री इंफ्रा फंड की शुरुआत की थी। इसके तहत फार्म-गेट पर कृषि अवसंरचना परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठन, कृषि उद्यमी, स्टार्ट-अप आदि, को ₹1,00,000 करोड़ की वित्तीय सुविधा प्रदान की जाएगी।
किसानों को फसल कटाई के बाद कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग यूनिट्स, वेयरहाउस, पैकेजिंग यूनिट जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड शुरू की गई है। इसके तहत बैंक गारंटी पर सब्सिडी के साथ लोन भी उपलब्ध करवाया जाता है। पात्र लाभार्थियों को 2 करोड़ रुपये तक के लोन पर ब्याज में 3% तक की छूट प्रदान की जाती है। अधिकतम 7 साल के अंदर लोन चुकता करने के लिए सरकार की तरफ से बैंक गारंटी की भी सुविधा मिलती है। यह 2 लाख करोड़ रुपये की योजना है जिसमें से आप ग्रेडिंग, पोलीहाउस, ड्रोन व मशीनरी आदि खरीदने के लिए भी पैसा ले सकते हैं। इतना ही नहीं, इस योजना के तहत कृषि मंडियों के अंदर भी कोल्ड स्टोरेज, साइलो और छंटाई यूनिट बनवाने के लिए भी विशेष छूट दी जाती है। किसान चाहें तो इस योजना का लाभ लेकर खेती के साथ एग्री बिजनेस भी कर सकते हैं, जिससे दूसरे किसानों को भी फायदा पहुंचेगा।
योजना के उद्देश्य: इस योजना का उद्देश्य देश में कृषि बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए प्रोत्साहन करना है। योजना का मकसद वित्तीय सहायता के माध्यम से फसल कटने के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के लिए ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाना है। यह वित्तपोषण सुविधा कृषि में सभी हितधारकों के लिए कई उद्देश्यों की पूर्ति करेगी। इस योजना से किसान, सरकार और कृषि स्टार्टअप, सबको लाभ मिलेगा।
एग्री इंफ्रा फंड के लाभ:
ऐसे मिलेगा अनुदान: योजना 2020-21 से 2032-33 तक लागू रहेगी। योजना के तहत ऋण वितरण छह साल में पूरा हो जाएगा, यानी वित्तीय वर्ष 2025-26 के अंत तक। 31 दिसंबर 2022 तक, ₹14,118 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से ₹9117 करोड़ योजना के तहत वितरित किए गए हैं। 2022-23 और 2025-26 के बीच शेष अवधि के दौरान ₹1 लाख करोड़ में से शेष ₹90,883 करोड़ वितरित किए जाएंगे। वित्तपोषण सुविधा के तहत चुकाने की अवधि अधिकतम 7 वर्ष की होगी, जिसमें 2 वर्ष तक की अधिस्थगन अवधि शामिल है।