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दिल्ली सरकार इस साल 5 हजार एकड़ से ज्यादा खेतों में पराली को गलाने के लिए निशुल्क बायो डी-कंपोजर का छिड़काव करेगी। बायो डी-कंपोजर के छिड़काव के लिए कुल 13 टीमों का गठन किया गया है। दरअसल, ठंड के मौसम में पराली जलना भी प्रदूषण को बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाती है। ऐसे में पराली को जलाए जाने से रोकने की दिशा में यह ऐहतियातन कदम उठाया गया है। दिल्ली के कृषि विभाग ने तिगीपुर गांव से पराली को गलाने के लिए बायो डी-कंपोजर के छिड़काव की शुरूआत की है। खेतों में इस बायो डी-कंपोजर से पराली गलाने के लिए लिए अभी तक 880 किसानों ने फॉर्म भरा है।
दिल्ली सरकार के विकास मंत्री गोपाल राय ने बायो डी-कंपोजर के छिड़काव पर कहा कि दिल्ली के अंदर बासमती और गैर बासमती धान के सभी खेतों में सरकार की तरफ से निशुल्क बायो डी-कंपोजर का छिड़काव किया जाएगा।
राय ने कहा कि दिल्ली में ठंड के मौसम में बढ़ने वाले प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए दिल्ली सरकार ने 15 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान बनाया है। ठंड के मौसम में पराली जलना भी प्रदूषण को बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाती है। ऐसे में इस समस्या का समय रहते उचित समाधान किया जा सके, इसलिए सरकार ने पिछले साल की तरह इस बार भी पराली गलाने के लिए खेतों में बायो डी-कंपोजर का निशुल्क छिड़काव शुरू किया है।
दिल्ली के अंदर कुछ हिस्सों में ही धान की खेती की जाती है। दिल्ली में पराली से प्रदूषण न हो, इसीलिए पिछले साल बायो डी-कंपोजर का निशुल्क छिड़काव किया गया था। जिसका बहुत ही सकारात्मक परिणाम रहा है। इससे पराली गल गई और खेत की उपजाऊ क्षमता में भी बढ़ोतरी देखी गई। किसानों के सामने एक समस्या यह भी रहती है कि धान की फसल की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच में समय अंतराल कम होता है।
राय का कहना है कि इसलिए सरकार समय रहते अभी से इस काम में जुट गई है। गोपाल राय ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि जो किसान फॉर्म भर दिए हैं, उनके खेतों में जल्द से जल्द बायो डी-कंपोजर का छिड़काव करा दिया जाए। बायो डी-कंपोजर के छिड़काव के लिए अभी तक 880 किसानों ने फॉर्म भरा है।