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इस वर्ष गेहूं ने देश और बाजार में अपनी एक अलग ही प्रसिद्धि और उपस्थिति बनाई रखी है फिर चाहे बात किसान आन्दोलन के द्वारा सरकार से एमएसपी के मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर हो या फिर गेहूं की फसलों की कटाई में मौसम के चलते देरी की। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष भारत में 1 मीलियन टन गेहूं उत्पादन की कमी दर्ज करने का अनुमान है। भारत में गेहूं की फसल कटाई का सीजन शुरू हो चुका है। इस वर्ष 2024 में देश के लगभग 45 प्रतिशत गेहूं की कटाई की जा चुकी है तथा अधिकांश राज्यों में अप्रैल माह तक कटाई पूरी होने की संभावना है।
देश में इस समय किसानों को गेहूं का भाव अच्छा मिल रहा है जिसका एक महत्वपूर्ण कारण सरकार द्वारा बढ़ाए गये एमएसपी मूल्य है। पिछले वर्ष 2023-24 तक सरकार ने एमएसपी का मूल्य 2125 रूपये प्रति क्विंटल रखा था परन्तु वर्ष 2024-25 के लिये केन्द्र सरकार ने गेहूं के एमएसपी मूल्य पर 150 रूपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की है जो कि 7.1 प्रतिशत के हिसाब से अब 2275 रूपये प्रति क्विंटल रखा गया है। इसके अतिरिक्त सरकार ने गेहूं पर एमएसपी मूल्य बढ़ाने के साथ बोनस देने की घोषणा की है, जिनमें मध्यप्रदेश और राजस्थान में 125 रूपये प्रति क्विंटल मूल्य में बढ़ोत्तरी की गई है। ना सिर्फ गेहूं बल्कि इसके साथ छः और फसलों पर भी एमएसपी मूल्य बढ़ा दिये गये हैं।
सरकार ने इस वर्ष 2024 में उत्तर प्रदेश में 6 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है। हालांकि अभी इस सीजन 2024 में गेहूं की आवक मध्यप्रदेश गुजरात और राजस्थान जैसी नहीं देखी गई है। आशा है कि होली के बाद मण्डी बाजारों में अप्रैल से आवक में तेजी देखने को मिलेगी। देश में उत्तर प्रदेश गेहूं के उत्पादन में सबसे बड़ा राज्य है। पिछले वर्ष 2023 मार्च माह में उत्तप्रदेश में गेहूं उत्पादन के आजमगढ़, गोरखपुर, जौनपुर जैसे प्रमुख जिलों में औसतन अधिकतम भाव 2300 रूपये से 2400 रूपये प्रति क्विंटल था। वहीं दिल्ली में गेहूं का भाव 2650 से 2700 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। इस वर्ष 2024 मार्च माह तक गेहूं के भाव में काफी उतार-चढाव देखने को मिल रहा है जिसका नतीजा लखनऊ, अलीगढ़, गोरखपुर जैसी मण्डियों में औसतन भाव 2450 से 2550 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। केन्द्र सरकार ने एमएसपी मूल्य 2024-25 सीजन के लिये 150 रूपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया है। परन्तु उत्तरप्रदेश में एमएसपी पर किसी प्रकार का बोनस देने की घोषणा नहीं की गई है।
देश में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्य गेहूं उत्पादन के प्रमुख राज्य हैं। पिछले वर्ष 2023 मार्च माह में मध्यप्रदेश गेहूं के उत्पादन में उज्जैन, देवास, धार जैसे प्रमुख शहरों में औसतन अधिकतम भाव 2400 रूपये से 2700 रूपये प्रति क्विंटल था। इस वर्ष 2024 मार्च माह में गेहूं का औसतन अधिकतम भाव 2800 से 3000 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। मध्यप्रदेश में लोकल और शरबती गेहूं के भाव में तेजी देखने को मिल रही है जिसका एक बड़ा उदाहरण राजगढ़ जिले की मण्डी है। आंकड़ों की माने तो मार्च माह में गेहूं के अधिकतम भाव 4000 रूपये प्रति क्विंटल के ऊपर भी देखने को मिल रहा है। खासतौर पर म.प्र. राज्य के विदिशा, सिहोर, गुना, अशोकनगर जैसे जिलों में गेहूं के भाव में लगातार तेजी देखी जा रही है। सरकार ने मध्यप्रदेश में गेहूं के एमएसपी मूल्य पर 125 रूपये बोनस देने की घोषणा की है। जिसके चलते अब गेहूं का भाव 2400 रूपये प्रति क्विंटल पहुंच गया है। वहीं कई किसान गेहूं के स्टाक को रोककर रखे हुये हैं ताकि गेहूं का अच्छा भाव मिल सके वहीं थोक विक्रेता आवक को होल्ड कर भाव में तेजी को बनाये हुए है।
गेहूं खरीद पर सरकारी फरमान जारी: इस वर्ष 2024 में गेहूं खरीद को केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मंत्रालय ने सरकारी फरमान जारी किया है। इस वर्ष उपभोक्ता मंत्रालय ने एमएसपी पर गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य कम कर दिया है। पिछले साल 2023 में सरकार द्वारा देश में 341 मिलियन टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जो कि पूरा नहीं हो सका था। इस वर्ष 2024 में सभी राज्य सरकारों से लगभग 320 मिलियन टन लक्ष्य रखा गया है। इस साल 21 मिलियन टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य घटाया गया है। सरकार ने पहले ही गेहूं के एक्सपोर्ट पर मई 2022 में बैन लगा दिया था। सरकार ने वर्तमान में गेहूं के निर्यात पर ओपन मार्केट सेलिंग और अन्य सरकारी या बड़े निजी व्यापारियों को बेचने पर रोक लगाने का सरकारी फरमान जारी किया है।
गेहूं उत्पादन में भारत का स्थान: गेहूं देश में ही नहीं विश्व में सर्वाधिक खाद्य पदार्थों में उपयोग में लाये जाने वाली फसल है। विश्व में चीन गेहूं उत्पादन के मामले में शीर्ष पर रहता है। वर्ष 2023-24 में चीन में लगभग गेहूं का उत्पादन 136.6 मिलियन मीट्रिक टन से भी ज्यादा रहा। भारत गेहूं उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर आता है हांलाकि विगत दो से तीन वर्षों में गेहूं के भाव काफी अच्छे देखने को मिले हैं। इसका एक कारण बाहरी देशों के बीच चल रहे युद्ध का असर है जिसका बडा उदाहरण यूक्रेन-रसिया युद्ध है। यूक्रेन और रसिया दोनों ही गेहूं उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं।