ठंड के इस मौसम में किसानों को कई परेशानियां उठानी पड़ रही हैं. इस बीच सबसे बड़ी चिंता है कि इस ठंड के मौसम की बीमारियों से फसलों को कैसे सुरक्षित रखा जाए. इसके लिए वैज्ञानिक भी किसानों को समय समय पर राय और सलाह जारी करते हैं. इस मौसम में सरसों की फसल में चेंपा कीट लगने और फैलने का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में किसानों के लिए वैज्ञानिकों ने कुछ सलाह जारी की है. इन्हें अपना कर किसान अपनी सरसों की फसल को रोग और मौसम से बचा सकते हैं. यह सलाह गेहूं, और कुछ सब्जियों को लेकर भी है.
सरसों की फसल को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि किसान मौसम का विशेष ध्यान रखें. साथ ही, सरसों की फसल में चेंपा कीट की निरंतर निगरानी करते रहें. प्रारम्भिक अवस्था में प्रभावित भाग को काट कर नष्ट कर दें. चेंपा फसलों का रस चूसने वाला कीट है. यह कीट बिना पंखों वाला होता है, जो पौधे की पत्तियों, डंठल और फलियों को चूसकर उसे नष्ट कर देता है. सरसों की फसल को यह कीट बहुत जल्दी खराब कर देता है. इस कीट के फरवरी के अंतिम सप्ताह में तापमान में बढ़ोतरी होने पर हल्के पंख आ जाते हैं. तब यह उड़कर दूसरे पेड़-पौधों को भी अपनी गिरफ्त में ले लेता है. ऐसे में अपने सभी पौधों और फसलों का इनसे बचाव करना चाहिए.
इस सीजन में गेहूं की फसल में दीमक लगने का खतरा है. ऐसे में गेहूं की फसल का ध्यान रखने की बात कही गई है. सलाह दी गई है कि अगर दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो बचाव के लिए किसान क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी @ 2.0 ली. प्रति एकड़ 20 किग्रा बालू में मिलाकर खेत में शाम को छिड़क दें.
वहीं चने की फसल में फली छेदक कीट के होने का खतरा होता है. इससे बचाव के लिए किसान फसल में फीरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक एकड़ में तीन से चार ट्रैप इसके कंट्रोल के लिए पर्याप्त होंगे.
गोभी के लिए करें ये काम: वैज्ञानिकों के अनुसार किसान कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थेलों में भर कर पाली घरों में रखें. इस मौसम में तैयार बन्दगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं. पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं. पत्तों के बढ़वार के लिए 20 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं. गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक की निगरानी हेतु फीरोमोन ट्रैप लगाएं.