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रूस एवं यूक्रेन के संघर्ष के बाद से ही गेहूं के मार्केट में तेजी आयी। वर्ष 2022 में ग्लोबल गेहूं के मार्केट में तेजी रही। उस दौरान भारत से विदेशों को गेहूं का रिकॉर्ड निर्यात किया गया जिससे भारत के बफर स्टॉक में गेहूं की कमी हो गई। आने वाले समय में गेहूं के भाव Wheat global price रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की गई है। गेहूं के भाव को लेकर ग्लोबल मार्केट में रिकॉर्ड तेजी दर्ज हुई है। व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं के कारोबार में पिछले तीन माह में सबसे अधिक तेजी आई है। आइए जाने आने वाले समय में गेहूं के भाव क्या रहेंगे
गेहूं की सरकारी खरीद को बढ़ावा देने की सरकार की कोशिशों के बीच किसानों ने एमएसपी पर गेहूं खरीदी में बिल्कुल भी रुचि नहीं दिखाई है। गेहूं की सरकारी खरीदी इस वर्ष मध्य प्रदेश एवं राजस्थान सरकार द्वारा बोनस सहित 2400 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल है। इस वर्ष किसानों को गेहूं की पैदावार मौसम की मार से कम मिली है जिससे सरकार के समर्थन दाम व बोनस सहित 2400 रुपए क्विंटल के होने से किसानों ने गेहूं खूब बेचा है। इधर अब 2400 रुपए वाला गेहूं ग्लोबल मार्केट खुले बाजार में 2500 रुपए हो गया है।
गेहूं के ग्लोबल मार्केट में एक महीने में 9% तक की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। विशेषज्ञों के मुताबिक रूस और अमेरिका में एक्सपोर्ट की दिक्कत आने के कारण गेहूं के मार्केट में तेजी आई है। बताया गया है कि ब्लैक सी बंदरगाह पर हमलों से यूक्रेन से शिपमेंट प्रभावित हो रहे हैं। अमेरिकी कृषि मंत्रालय USDA की रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल गेहूं भंडार में कमा बताई गई है, इस वर्ष गेहूं का भंडार 9 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है।
2024 में गेहूं के भाव: भारत में गेहूं के बफर स्टॉक में कमी आने से विदेश में भी गेहूं की पैदावार इस वर्ष अनुमान के मुताबिक नहीं हो पाई है। रूस एवं यूक्रेन में गेहूं की खेती संघर्ष के चलते प्रभावित हुई है, जिसके कारण स्थानीय बाजार में गेहूं की डिमांड अधिक है वहीं ग्लोबल मार्केट में भी गेहूं के भाव में तेजी आई है। देश में गेहूं के भाव 3500 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचने की संभावना है।
केंद्रीय भंडार में गेहूं का स्टॉक घटने की उम्मीद: देश में गेहूं की खरीद में गिरावट दर्ज की गई है। गेहूं की खरीद 37 फीसदी तक घट गई है। केंद्र सरकार के भंडार में गेहूं का स्टॉक 1 अप्रैल को पिछले 16 वर्षों में सबसे कम हो गया है। 1 अप्रैल से शुरू हुए विपणन वर्ष में 372.9 लाख टन खरीदने का लक्ष्य रखा गया है।