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अप्रैल महीने में इन फसलों से होगा बंपर मुनाफा: आजकल चलन में है बेबी कॉर्न, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाती है लोबिया, सोयाबीन

अप्रैल महीने में इन फसलों से होगा बंपर मुनाफा: आजकल चलन में है बेबी कॉर्न, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाती है लोबिया, सोयाबीन
अप्रैल महीने में इन फसलों से होगा बंपर मुनाफा: आजकल चलन में है बेबी कॉर्न, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाती है लोबिया, सोयाबीन

गर्मी बढ़ने के साथ ही अप्रैल का महीना शुरू हो चुका है। इस समय तक रबी की सभी फसलें लगभग कट चुकी होती हैं। गेहूँ, जौ,आलू, चना, जैसी फसलों को किसान मंडी तक पहुंचाने लगते हैं। रबी फसलों की कटाई और खरीफ सीजन से पहले कुछ महीने बीच में खाली बच जाते हैं, जिसे जायद सीजन कही जाता है। इस सीजन में कई दलहनी और तिलहनी फसलें बोई जाती हैं। इससे आपको अपनी फसल से लाभ भी अच्छा मिलेगा, साथ ही फसल की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। यही नहीं, इस माह में  ऐसी भी कई फसलें बोई जाती हैं जिनसे मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ती है। इस स्टोरी में जानिए कौनसी फसलें देंगी फायदा। 

1. मक्का, बेबी कॉर्न: हर तरह की फसल को अलग अलग तरह के वातावरण और तापमान की जरूरत होती है। उसी तरह ये मौसम साठी मक्का और बेबी कॉर्न की खेती के लिए बिल्कुल सही है। यह फसलें गर्मी सहन कर सकती हैं। दोनों की फसलें 70 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं। देश में इन फसलों का निर्यात किया जाता है। इसके अलावा ये होटलों में बेबी कॉर्न की सलाद, सब्जी, अचार, पकौड़े व सूप के काम आता है। 

2. मूंग, उड़द: अप्रैल के महीने का तापमान दलहनी फसलों जैसे मूंग, उड़द की बुवाई के लिए अनुकूल है। इसके अलावा किसान अरहर की फसल ले सकते हैं। ये फसल 60 से 90 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। इनकी पैदावार भी 3-4 क्विंटल तक होती है। बता दें कि जलभराव वाले इलाकों       में  उड़द की खेती से बचें। 

3. मूंगफली: गेहूं की कटाई के तुरंत बाद मूंगफली की फसल बोई जा सकती है। ये फसल 4-5 महीने में पककर तैयार हो जाती है। बेहतर उत्पादन के लिए हल्की दोमट मिट्टी में बीज उपचार के बाद ही मूंगफली के दानों की खेती करें। याद रहे की जलभराव वाले इलाकों में मूंगफली ना बोएं। 

4. लोबिया, सोयाबीन: मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए जायद सीजन में ढेंचा, लोबिया और मूंग की खेती करें। इससे मिट्टी में नाइट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। लोबिया की फसल लगभग 70 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी बुवाई धान व मक्के के बीच की जा सकती है।  इसके अलावा अप्रैल में बोई गई      सोयाबीन की फसल में बीमारियां लगने की संभावना कम ही रहती है। ये फसल वातावरण में नाइट्रोजन स्थिरीकरण का काम करती है। पानी रुकने वाले इलाकों में सोयाबीन की बुवाई करने से बचना चाहिए।

5. सब्जियां:  इस महीने में लौकी, भिंडी, करेला, तोरई, बैंगन जैसी सब्जियों की खेती भी की जा सकती है। जायद सीजन की फसलों को मौसम की मार से बचाने के लिए किसान पॉलीहाउस, ग्रीनहाउस का इंतजाम कर सकते हैं। 

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