अल नीनो, ला नीना के प्रभाव से इस साल सामान्य से अधिक होगी बारिश
By khetivyapar
पोस्टेड: 16 Apr, 2024 12:00 AM IST Updated Wed, 09 Oct 2024 11:13 AM IST
भारतीय मौसम विभाग आई.एम.डी ने हाल ही में अपनी जानकारी अनुसार बताया है की इस साल 2024 में मानसून सामान्य से अधिक बेहतर रहने की स्थिति में दिखाई देता नज़र आ रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक यह मानसून को लेकर इस साल का बड़ा अपडेट है, साथ ही देश में रहने वाले मानसून सीजन (जून से सितम्बर) माह के अंतराल में बारिश सामान्य से अधिक बरसने की सम्भावना है। इसी दौरान बारिश की समय सीमा भी अधिक होने के कारण बारिश औसत (87 सेमी) के लगभग 106 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया जा रहा है, हालाँकि यह 5 से 7 प्रतिशत के लगभग कम ज्यादा हो सकता है। आई.एम.डी के अनुसार यह मानसून के मौसम को एक सकरात्मक दृष्टि से देखा जाये तो भारतीय दक्षिण से पश्चिमी क्षेत्रों के लिए यह अनुकूल माना गया है, जो की भारत के कृषि क्षेत्र और किसानो के लिए अच्छी खबर है।
पिछले कुछ वर्षों में अल नीनो का प्रभाव:
मौसम विज्ञान विभाग द्वारा भारत में मानसून के सीजन में अब तक नौ मौकों पर ही सामान्य से अधिक बारिश देखी गई है, जब ला नीना के बाद अल नीनो की घटना हुई है। वर्ष 2023 में, अल नीनो के दौरान भारत में "औसत से कम" बारिश हुई थी - साथ ही इस लम्बे समय की अवधि में 868.6 मिमी की औसत की तुलना में 820 मिमी ही दर्ज हुई। इसके अतिरिक्त 2023 से पूर्व भारत में लगातार 4 वर्षों तक मानसून के मौसम में "सामान्य" एवं "सामान्य से अधिक" बारिश दर्ज की गई थी।
किन चीज़ों से हो रहा है मानसून प्रभावित:
बारिश के मौसम का पूर्वानुमान करने के लिए, तीन मुख्य फैक्टर्स होते हैं:
- अल नीनो: यह उत्तरी प्रशांत महासागर में गरम पानी का प्रवाह है जो मौसम पर प्रभाव डालता है। अगर अल नीनो होता है, तो यह बारिश को प्रोत्साहित कर सकता है।
- हिंद महासागर डिपोल (IOD): यह भूमध्य भारतीय महासागर के पश्चिमी और पूर्वी किनारों के अलग-अलग तापमान का प्रभाव होता है। अगर IOD पॉजिटिव होता है, तो यह बारिश को बढ़ा सकता है, जो की इस वर्ष देखा जा रहा है ।
- उत्तरी हिमालय और यूरेशियाई भूभाग का बर्फ का आवरण: यह तापमान को प्रभावित करता है और बारिश के मौसम पर प्रभाव डालता है।
इन तीनों कारकों के संयोजन से, हम बारिश के मौसम का अनुमान लगा सकते हैं।
अल नीनो और ला नीना क्या हैं:
- अल नीनो और ला नीना प्राकृतिक जलवायु पैटर्न हैं। अल नीनो में प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में गर्मी बढ़ती है, जबकि ला नीना में यहां समुद्र की सतह का तापमान अधिक ठंडा होता है। यह दोनों तापमान के उतार-चढ़ाव मौसम के पैटर्न को प्रभावित करते हैं, जिससे बारिश, तापमान और मौसम की परिस्थितियों पर असर पड़ता है।
- हिंद महासागर डिपोल (IOD) यह भारतीय नीनो के रूप में भी जाना जाता है। सकारात्मक IOD के दौरान पश्चिमी हिंद महासागर गर्म होता है, जबकि पूर्वी हिंद महासागर ठंडा होता है। नकारात्मक IOD के दौरान यह विपरीत होता है। ये गर्म और ठंडे चरण के साथ मौसम को प्रभावित करते हैं, जिससे भारत में मानसून की स्थिति बनती हैं।
- भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने मई 2024 के माह में एक मानसून पूर्वानुमान जारी करने का फैसला किया है। मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए कई हद तक मददगार साबित होगा, जिससे किसानों को एक सही निर्णय लेने में काफी मदद मिलेगी।