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मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अधीन मत्स्य पालन विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में ट्यूना क्लस्टर के विकास की अधिसूचना जारी की है। इससे उत्पादन, निर्यात और आजीविका में बढोतरी होगी।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मछली पालन को बढावा देने के लिये एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, जिसमें करीब 6 लाख वर्ग किलोमीटर का आर्थिक क्षेत्र है जो ट्यूना और अधिक मूल्य वाली समुद्री प्रजातियों जैसे संसाधनों से समृद्ध है। ट्यूना का अनुमानित उत्पादन 60,000 मीट्रिक टन तक पहुँच सकता है। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के निकट होने के कारण यह क्षेत्र समुद्री और हवाई व्यापार के लिए अत्यधिक अनुकूल है। इसके स्वच्छ समुद्री जल से स्थायी मछली पालन की दिशा में ठोस प्रगति संभव है। इस क्षेत्र की समुद्री संपदा का उपयोग आर्थिक विकास के लिए किया जा सकता है।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को ट्यूना क्लस्टर के रूप में अधिसूचित करने से मछली पालन क्षेत्र में संगठित विकास, आय में वृद्धि, और राष्ट्रीय स्तर पर विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। इस पहल के तहत निवेशकों के साथ बैठकें आयोजित कर भागीदारी को प्रोत्साहित करने, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के साथ भ्रमण कार्यक्रमों की व्यवस्था करने और महत्वपूर्ण निवेश पर फोकस किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, मछली पकड़ने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का विकास, प्रसंस्करण और निर्यात कनेक्टिविटी स्थापित की जाएगी जिससे भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।
मछली पालन क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख विकासशील क्षेत्र है, जो विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीय आय, निर्यात और खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने में योगदान प्रदान करता है। पिछले एक दशक में भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY), मत्स्य और जलकृषि अवसंरचना विकास कोष (FIDF) और ब्लू रिवॉल्यूशन जैसी प्रमुख योजनाओं के माध्यम से इस क्षेत्र में 38,572 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। मछली पालन क्षेत्र की वृद्धि को बनाए रखने के लिए मछली पालन विभाग, उत्पादन और प्रसंस्करण के लिए क्लस्टर आधारित तकनीकि को अपना रहा है। क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण प्रतिस्पर्धात्मकता और दक्षता में वृद्धि करता है, जिसमें भौगोलिक रूप से जुड़े हुए छोटे, मध्यम और बड़े सभी आकार के उद्यम शामिल होते हैं। यह सहयोगात्मक मॉडल वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देता है, मूल्य श्रृंखला के अंतराल को पूरा करता है, और नए रोजगार स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है।
क्लस्टर विकास से ग्रामीण विकास को बढ़ावा: मत्स्य पालन विभाग ने मोती, समुद्री शैवाल, सजावटी मछली पालन, जलाशय मत्स्य पालन, मछली पकड़ने के बंदरगाह, खारे पानी का जलीय कृषि, ठंडे पानी का मछली पालन, समुद्री और महासागरीय मत्स्य पालन, जैविक मत्स्य पालन, और अन्य आवश्यक क्षेत्रों में क्लस्टर विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके लिए राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से संभावित स्थानों की पहचान की जा रही है।
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