चना-मसूर की फसल में उक्ठा रोग का प्रकोप वर्तमान समय में चना और मसूर की फसल में कई स्थानों पर पौधों के सूखने की समस्या देखी जा रही है। यह समस्या उक्ठा रोग के कारण होती है, जो चना की फसल में फूल बनने से पहले, फूल और फलियों की अवस्था में तथा फसल पकने से कुछ दिन पहले प्रकट होता है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस रोग में खेत में कई स्थानों पर चकत्तों (टापुओं) के रूप में लक्षण दिखाई देते हैं। रोगग्रस्त पौधों की पत्तियां और शाखाएं मुरझाकर लटक जाती हैं, अंततः पौधे पीले होकर सूख जाते हैं। जड़ों में सूखापन आ जाता है, लेकिन जड़ को चीरने पर भूरी या काली पट्टी दिखाई देती है।
जैविक-रासायनिक नियंत्रण: ट्राइकोडर्मा विरिडि 1-2 किग्रा को 15-20 किग्रा सड़ी गोबर खाद में मिलाकर छिड़काव करें। कार्बेन्डाजिम 50% या थायोफिनेट मिथाइल 70%, मात्रा 750 ग्राम, को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
मसूर में माहू का नियंत्रण: मसूर की फसल में एफिड, जैसिड और थ्रिप्स का प्रकोप होने पर जैविक और रासायनिक नियंत्रण अपनाएं।
इन उपायों को अपनाकर किसान चना और मसूर की फसलों को उक्ठा और माहू रोग से सुरक्षित रख सकते हैं और पैदावार को बेहतर बना सकते हैं।
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