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चना-मसूर की फसल में उक्ठा और माहू रोग का प्रकोप, जाने नियंत्रण के उपाय

चने और मसूर की फसल में रोग
चने और मसूर की फसल में रोग

चना-मसूर की फसल में उक्ठा रोग का प्रकोप वर्तमान समय में चना और मसूर की फसल में कई स्थानों पर पौधों के सूखने की समस्या देखी जा रही है। यह समस्या उक्ठा रोग के कारण होती है, जो चना की फसल में फूल बनने से पहले, फूल और फलियों की अवस्था में तथा फसल पकने से कुछ दिन पहले प्रकट होता है।

उक्ठा रोग के लक्षण Symptoms of uktha disease:

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस रोग में खेत में कई स्थानों पर चकत्तों (टापुओं) के रूप में लक्षण दिखाई देते हैं। रोगग्रस्त पौधों की पत्तियां और शाखाएं मुरझाकर लटक जाती हैं, अंततः पौधे पीले होकर सूख जाते हैं। जड़ों में सूखापन आ जाता है, लेकिन जड़ को चीरने पर भूरी या काली पट्टी दिखाई देती है।

उक्ठा रोग के रोकथाम के उपाय Measures to prevent Uktha disease:

  1. मई-जून में ग्रीष्मकालीन जुताई अवश्य करें। इससे भूमि में मौजूद कवक तेज धूप के संपर्क में आकर नष्ट हो जाते हैं।
  2. चने की बुवाई अक्टूबर के अंत या नवंबर के पहले सप्ताह में करें।
  3. खेत की तैयारी करते समय प्रति हेक्टेयर 5 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर खाद डालें।
  4. बुवाई से पहले 20-25 किग्रा नीम की खली प्रति एकड़ खेत में डालें।
  5. बीज उपचार: ट्राइकोडर्मा विरिडि- 5 ग्राम प्रति किलो बीज या ट्राइकोडर्मा विरिडि 4 ग्राम + कार्बेन्डाजिम 50% या पायरावलोस्ट्रोबिन 1.5 ग्राम से बीज उपचार करें।
  6. दीर्घकालीन फसल चक्र (3 वर्ष) तक चना न लगाएं।
  7. उक्ठा निरोधी प्रजातियां जैसे आरवीजी-202, आरवीजी-203, जेजी-36, जेजी-52 आदि किस्मों का चयन करें।

जैविक-रासायनिक नियंत्रण: ट्राइकोडर्मा विरिडि 1-2 किग्रा को 15-20 किग्रा सड़ी गोबर खाद में मिलाकर छिड़काव करें। कार्बेन्डाजिम 50% या थायोफिनेट मिथाइल 70%, मात्रा 750 ग्राम, को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।

मसूर में माहू का नियंत्रण: मसूर की फसल में एफिड, जैसिड और थ्रिप्स का प्रकोप होने पर जैविक और रासायनिक नियंत्रण अपनाएं।

  • जैविक नियंत्रण: ब्यूबेरिया वैसियाना या वर्टिसीलियम लेकेनी, 4 मि.ली./लीटर पानी के साथ घोलकर छिड़काव करें।
  • रासायनिक नियंत्रण: फिप्रोनिल + इमिडाक्लोप्रिड: 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। एसीटामिप्रिड 20% एसपी या थायोमिथाक्जाम 25% डब्ल्यूजी: 150 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

इन उपायों को अपनाकर किसान चना और मसूर की फसलों को उक्ठा और माहू रोग से सुरक्षित रख सकते हैं और पैदावार को बेहतर बना सकते हैं।

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