उत्तर प्रदेश सरकार गोवंश संरक्षण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी क्रम में, प्रदेश के सभी गोआश्रय केंद्रों में वर्मी कंपोस्ट यूनिट स्थापित की जाएंगी। सरकार का उद्देश्य है कि ये गोआश्रय केंद्र गोबर और गोमूत्र के सह-उत्पादों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनें। साथ ही, इससे इको-फ्रेंडली प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। हाल ही में महाकुंभ के दौरान पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्रालय ने इस विषय पर गहन चर्चा कर रणनीति तैयार की थी।
वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 7,700 से अधिक गोआश्रय केंद्रों में लगभग 12.5 लाख निराश्रित गोवंश रखे गए हैं। इसके अलावा, मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1.62 लाख निराश्रित गोवंश 1 लाख से अधिक लाभार्थियों को दिए गए हैं। योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी को प्रति माह 1,500 रुपये की सहायता भी दी जाती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार, संबंधित विभाग, कृषि विभाग के सहयोग से, प्रत्येक गोआश्रय केंद्र की क्षमता के अनुसार वर्मी कंपोस्ट यूनिट स्थापित करेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार पशुपालकों को निरंतर प्रोत्साहित कर रही है। हाल ही में, 25 देशी नस्लों की गायों के संरक्षण, संवर्धन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए ‘नंदनी कृषक समृद्धि योजना’ शुरू की गई है। इस योजना के तहत, बैंकों से लिए गए ऋण पर सरकार 50% सब्सिडी प्रदान करेगी। इसके अलावा, सरकार ने ‘अमृत धारा योजना’ भी लागू की है, जिसके तहत दो से दस गाय पालने पर बैंकों के माध्यम से 10 लाख रुपये तक का अनुदानित ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के तहत 3 लाख रुपये तक के ऋण के लिए किसी गारंटर की आवश्यकता नहीं होगी।
गोवंश संरक्षण के लिए 2,000 करोड़ रुपये जारी: उत्तर प्रदेश सरकार ने छुट्टा गोवंश संरक्षण के लिए हाल ही में प्रस्तुत बजट में 2,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इससे पहले, अनुपूरक बजट में भी 1,001 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। सरकार ने बड़े गोआश्रय केंद्रों के निर्माण की लागत को बढ़ाकर 1.60 करोड़ रुपये कर दिया है। साथ ही, 543 नए गोआश्रय केंद्रों के निर्माण को मंजूरी दी गई है। पशुपालकों को मनरेगा योजना के तहत सस्ते में कैटल शेड और गोबर गैस प्लांट लगाने की भी सुविधा दी जा रही है।
बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा: उत्तर प्रदेश सरकार राज्य को प्राकृतिक खेती का हब बनाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों और बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती को विशेष रूप से बढ़ावा दे रहे हैं। अब इस योजना में स्थानीय नदियों को भी शामिल किया गया है, जिससे किसानों को प्राकृतिक सिंचाई का लाभ मिल सके।