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प्याज एक सब्जी एवं मसाला फसल है। प्याज की फसल के लिए सल्फर एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। किसान प्याज की खेती बड़े स्तर पर करते हैं। हर वर्ष लगभग 17-18 लाख हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में प्याज की खेती करते हैं। किसान रबी और खरीफ दोनों सीजन में प्याज की खेती करते हैं। वहीं महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन होता है। कई किसानों का जीवन-यापन प्याज की खेत पर निर्भर करती है ऐसे में कई किसान प्याज बेचकर लाखों का मुनाफा कमाते हैं। देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्याज का निर्यात किया जाता है।
प्याज की खेती सभी तरह की मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन इसकी बुवाई करने से पहले खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। बलुई दोमट मिट्टी में इसकी फसल की उपज अच्छी मिलेगी। प्याज की अच्छी वृद्धि तापमान 13-24˚C और 16-25˚C की आवश्यकता होती है। मिट्टी का पीएच मान 6.5-7.5 के बीच होना चाहिए। औसत वार्षिक वर्षा 650-750 मिमी होनी चाहिए। प्याज की फसल में उर्वरकों और खाद का इस्तेमाल बुवाई के साथ कर सकते हैं।
प्याज की रोपाई करने से पूर्व किसानों को खेतों में 25 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस, 40 किलो पोटाश और 70 किलो जैविक खाद प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए। रोपाई के 40 से 45 दिन बाद खेत में 75 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस और 40 किलो पोटाश का छिड़काव प्रति हेक्टेयर करें। यदि किसान रबी की प्याज की बुवाई करते हैं, तो रोपाई से पूर्व खेत में 40 किलो फास्फोरस, 60 किलो पोटाश, 40 किलो नाइट्रोजन और 75 किलो प्रति हेक्टेयर जैविक खाद का प्रयोग कर सकते हैं। 40 और 45 दिन की फसल में खाद के रूप में 40 किलो फास्फोरस, 60 किलो पोटाश और 100 किलो नाइट्रोजन की प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है।
प्याज की अच्छी उपज के लिये के लिए सल्फर एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो प्याज के बल्बों की गुणवत्ता के लिए बहुत आवश्यक है। किसान प्याज की रोपाई करते समय खेत में प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो सल्फर डाल सकते हैं। कम सल्फर वाली मिट्टी के लिए 30 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर उपयोग कर सकते हैं। वहीं, लंबे समय तक प्याज की फसल के लिए मिट्टी में 45-50 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्याज की फसल लगाने के लिए प्याज के बीज की क्यारी बनाकर तैयार की जाती है। 1 से 15 जून तक प्याज की बुवाई कर देनी चाहिए। 40-45 दिन बाद खेतों में रोपित कर दिया जाता है। इस दौरान पौधे से पौधे की दूरी 6 इंच और लाइन से लाइन की दूरी 2 फीट के बीच रखनी चाहिए। फसल को अच्छा बनाने के लिए फसल में 10 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डाली जाती है। खरपतवार का प्रबंधन होने के कारण प्याज का उत्पादन अधिक होता है।
सूक्ष्म पोषक तत्व प्रबंधन: किसानों को मिट्टी परीक्षण में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए कई उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। जैसे Zn की कमी वाले क्षेत्रों में ZnSO/ 10 किग्रा प्रति हेक्टेयर प्रयोग की जा सकती है। खेत में बोरॉन की कमी होने पर बोरोन 20 प्रतिशत उर्वरक 10 किग्रा प्रति हेक्टेयर के प्रयोग की सलाह दी जाती है। इसी तरह सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी वाले क्षेत्रों में प्रति हेक्टेयर 15 टनएफवाईएम का उपयोग कर सकते हैं।