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बागवानी में छाछ का उपयोग और मिट्टी की गुणवत्ता जांचने के आसान तरीके, जाने मिट्टी की उर्वरता घटने का कारण

बागवानी में छाछ के फायदे
बागवानी में छाछ के फायदे

छाछ, जिसे अंग्रेज़ी में बटरमिल्क कहते हैं, न केवल एक पौष्टिक पेय है बल्कि बागवानी में भी बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। सही तरीके से उपयोग करने पर यह पौधों की वृद्धि को तेज़ करता है और मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाता है। छाछ में मौजूद लैक्टिक एसिड, प्रोबायोटिक्स और खनिज तत्व पौधों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। जैविक खेती में इसे प्राकृतिक फफूंदनाशक और कीटनाशक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं कि बागवानी में छाछ का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।

बागवानी में छाछ के फायदे:

  1. प्राकृतिक फफूंदनाशक: छाछ में लैक्टिक एसिड पाया जाता है, जो मिट्टी और पौधों पर लगने वाली हानिकारक फफूंद को खत्म करने में मदद करता है। यह पत्तियों पर लगने वाले फफूंद रोग जैसे पाउडरी मिल्ड्यू और ब्लैक स्पॉट से बचाव करता है।
  2. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है: छाछ में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हैं। यह जैविक खाद की तरह कार्य करता है और पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है।
  3. पत्तियों की चमक बढ़ाता है: छाछ का हल्का घोल पत्तियों पर छिड़कने से पत्तियां हरी और चमकदार बनी रहती हैं।
  4. कीटों से बचाव: छाछ की गंध कई प्रकार के कीटों को पौधों से दूर रखती है, खासकर एफिड्स, मिलीबग्स और थ्रिप्स से बचाव में सहायक होती है।
  5. जैविक उर्वरक: छाछ में मौजूद बैक्टीरिया मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देते हैं, जिससे पौधों की जड़ें अधिक पोषण अवशोषित कर पाती हैं।

बागवानी में छाछ के उपयोग के तरीके:

  1. फफूंदनाशक स्प्रे: 1 लीटर पानी में 250 मिली छाछ को मिलाकर स्प्रे बोतल में भरें। पौधों की पत्तियों और तने पर छिड़काव करें। हफ्ते में एक बार छिड़काव करने से फफूंद की समस्या नहीं होगी।
  2. जैविक उर्वरक के रूप में उपयोग: 1 लीटर पानी में 200 मिली छाछ को मिलाकर पौधों की जड़ों में डालें। महीने में 2-3 बार इस घोल का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि अच्छी होती है।
  3. कीटनाशक के रूप में उपयोग: 1 लीटर छाछ, 2 लीटर पानी, 1 चम्मच नीम तेल या 100 ग्राम नीम पत्तों का रस या 1 चम्मच हल्दी पाउडर को अच्छे से मिलाएं। इस मिश्रण को स्प्रे बोतल में भरकर पौधों पर छिड़कें। यह कीटों को दूर रखेगा और पौधों को स्वस्थ बनाएगा।

किन पौधों के लिए उपयुक्त है?

  1. टमाटर, मिर्च, बैंगन, लौकी, तोरई जैसे सभी सब्जी वाले पौधे
  2. तुलसी, मनी प्लांट, एलोवेरा और सभी गमले में लगे पौधे (रसीले पौधों को छोड़कर) सभी प्रकार के फलदार पौधे
  3. खेती में गन्ना, अनाज, दलहन और तिलहन की फसलें

उपयोग करते समय क्या सावधानियां रखें?

बिना नमक वाली ताज़ा छाछ ही प्रयोग करें। नमक या मसाले वाली छाछ पौधों के लिए हानिकारक हो सकती है। छाछ का अधिक प्रयोग न करें, इससे मिट्टी में अम्लीयता बढ़ सकती है। छाछ को हमेशा पानी में घोलकर ही उपयोग करें।

जार मिट्टी परीक्षण: मिट्टी की बनावट जानने का आसान तरीका: मिट्टी की गुणवत्ता को परखने के लिए जार मिट्टी परीक्षण एक आसान और कारगर तरीका है। यह परीक्षण बताता है कि मिट्टी में रेत (Sand), गाद (Silt) और चिकनी मिट्टी (Clay) कितनी मात्रा में मौजूद है।

मिट्टी की उर्वरता घटने के प्रमुख कारण:

  1. रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग: रासायनिक उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल से मिट्टी की संरचना कमजोर हो रही है, जिससे उसकी जलधारण क्षमता भी कम होती जा रही है।
  2. जैविक खादों का उपयोग कम होना: बीते वर्षों में किसानों ने जैविक खादों जैसे सड़ी हुई गोबर की खाद, हरी खाद और वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग कम कर दिया है। इन खादों में आवश्यक सूक्ष्मजीव होते हैं, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने में मदद करते हैं। 
  3. मिट्टी की जलधारण क्षमता में कमी: लगातार रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से मिट्टी की संरचना सख्त होती जा रही है, जिससे उसमें पानी के संचित होने की क्षमता घट रही है। 
  4. मिट्टी में ऑक्सीजन की कमी :मिट्टी में जैविक घटकों की कमी और लगातार गहरी जुताई के कारण उसमें ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। यह फसल की जड़ों के विकास को प्रभावित करता है और मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या को भी घटाता है।

कैसे करें जार मिट्टी परीक्षण? पारदर्शी कांच या प्लास्टिक का जार लेकर जमीन से 3 फुट गहराई तक खुदाई करें और वहां से मिट्टी लें। कंकड़, जड़ें और सूखी पत्तियां निकाल दें और जार को 1/4 से 1/2 तक मिट्टी से भरें। जार को पानी से भरकर कुछ बूंदें लिक्विड सोप डालें। इसके बाद जार का ढक्कन कसकर बंद करें और 2 मिनट तक हिलाएं। 1-2 मिनट में रेत नीचे बैठ जाएगी। 30 मिनट में गाद ऊपर जमा होगी। 24 घंटे में चिकनी मिट्टी सबसे ऊपर बैठ जाएगी। स्केल से परतों की ऊँचाई मापें और प्रतिशत निकालें।

मिट्टी के प्रकार और सुधार के सुझाव:

मिट्टी का प्रकार विशेषताएँ सुधार के सुझाव
दोमट मिट्टी (Loamy Soil) संतुलित मिट्टी, सबसे उपजाऊ जैविक खाद मिलाएं
रेतीली मिट्टी (Sandy Soil) पानी जल्दी निकल जाता है जैविक खाद, गोबर खाद और मल्च डालें
चिकनी मिट्टी (Clay Soil) ज्यादा पानी रोकती है रेत, जैविक मल्च और खाद डालें
गादीली मिट्टी (Silty Soil) जल्दी सख्त हो जाती है जैविक खाद और मल्च डालें

निष्कर्ष: जार मिट्टी परीक्षण एक सरल और प्रभावी तरीका है, जिससे आप अपनी मिट्टी की बनावट समझ सकते हैं। कोई भी मिट्टी हो, उसमें जैविक खाद, मल्च और हरी खाद मिलाकर इसे अधिक उपजाऊ बनाया जा सकता है।

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