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Watermelon farming: खरबूज एवं तरबूज की बुवाई और रोपाई का उपयुक्त समय, उन्नत कृषि तकनीक से होगी अधिक पैदावार

खरबूज की खेती
खरबूज की खेती

गर्म जलवायु वाली फसल खरबूज और तरबूज के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है। इनके उत्पादन को बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करना आवश्यक है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, खरबूज और तरबूज की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में संभव है, लेकिन दोमट व रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।

खेत की तैयारी और बुवाई प्रक्रिया:

खेत की तैयारी के लिए 2-3 बार कल्टीवेटर से जुताई करें और उसके बाद पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरी बना लें। अंतिम जुताई के समय 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिलाएं।

खरबूज और तरबूज की उन्नत किस्में और बीज दर:

  1. खरबूज की प्रमुख किस्में – पूसा मधुरिमा, हरा मधु, दुर्गापुरा मधु हैं। इसके लिये बीज दर – 1.5-2 किग्रा प्रति हेक्टेयर लगायें। 
  2. तरबूज प्रमुख किस्में – सरस्वती, सागर किंग, मैक्स, शुगर बेबी, अर्का मानिक है। इसके लिये बीज दर – 3-4 किग्रा प्रति हेक्टेयर। बीजों को कार्बेन्डाजिम + मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करें।

बुवाई एवं रोपाई की विधि:

बुवाई के लिए थाला विधि उपयुक्त होती है। इसमें पूर्व से पश्चिम दिशा में 45-60 सेमी चौड़ी और 30-40 सेमी गहरी नालियां तैयार करें। नालियों के बीच दूरी 2-2.5 फीट रखें, और प्रत्येक नाली के किनारे 50-60 सेमी दूरी पर थाला बनाकर एक स्थान पर 2-3 बीज 1-2 सेमी गहराई में बोएं या तैयार पौध को रोपें।

खरबूज के लिए उर्वरक प्रबंधन: खरबूज की खेती के लिये नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटाश (NPK) – 80:75:50 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। बुवाई के समय नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फॉस्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा दें, और शेष नाइट्रोजन 30-40 दिन बाद दें।

तरबूज खरबूज के लिए उर्वरक प्रबंधन: तरबूज की खेती के लिये नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटाश (NPK) – 80: 60:60 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। इसकी बुवाई के समय नाइट्रोजन की एक-तिहाई मात्रा, फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा दें, और शेष नाइट्रोजन 25-30 दिन और 40-45 दिन बाद दें।

सिंचाई प्रबंधन: फसल की आवश्यकता के अनुसार 5-6 सिंचाई करें। फसल की बढ़वार के लिए जल विलेय उर्वरक NPK 18:18:18 का 1 किग्रा प्रति 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। ड्रिप सिंचाई के लिए 3-4 किग्रा प्रति हेक्टेयर मात्रा का उपयोग करें।

कीट एवं रोग नियंत्रण: 

सचूसक कीटों (थ्रिप्स, माहू, मच्छर) के नियंत्रण के लिए:

  1. थायोमिथाक्जाम + लेम्डासायलोथ्रिन (125 ग्राम प्रति हेक्टेयर) या
  2. फिप्रोनिल + इमिडाक्लोप्रिड (200-250 ग्राम प्रति हेक्टेयर) का उपयोग करें।
  3. इल्ली नियंत्रण के लिए:
  4. प्रोफेनोफॉस + साइपरमेथ्रिन (1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर) या
  5. क्लोरेन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 SC (150 ग्राम प्रति हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
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