फीला बीटल - यह रोग अप्रैल से मई के बीच लगते हैं। अंगूर की कलियों का भक्षण तथा ग्रैब जड़ को प्रभावित करते हैं।
सुत्रकृमि रोग- यह रोग मिट्टी के कम तापमान पर पनपते हैं तथा पौधे मुरझा हुए और वृद्धि रूक जाती है।
रतुआ रोग - रोगग्रस्त पौधे की पत्तियों में नारंगी धब्बे दिखाई पड़ते हैं।
सफेद चूर्णी रोग – इस रोग से डंठल, तना, में विकृति दिखाई देती है तथा फल गिरकर, सूखकर सड़ जाते है।
डाउनी मिल्ड्यू: यह रोग अधिक नमी पत्ती निकलने की अवस्था में प्रतिकूल प्रभाव पडता है।
एंथ्राक्नोस बीमारी: यह बीमारी नए अंकुर, नई पत्तियों फूलों एवं फलों में होती है।
बोट्रीटिस बंच रॉट: यह रोग अंगूर के गुच्छों को प्रभावित करता है, जिससे वे सड़ जाते हैं।