पालक की खेती सितम्बर-अक्टूबर माह में की जाती है, इस समय पालक की बुवाई करने से बेहद लाभ होता है।
राष्ट्रीय बीज निगम किसानों की सुविधा के लिये आनलाईन पालक की उन्नत किस्म आल ग्रीन का बीच दे रहा है।
पालक की आल ग्रीन किस्म के पौधे हर, आकार में चैड़े और मुलायम होते हैं, लगभग 40-45 दिनों में तैयार हो जाती है।
पालक के पत्ते बुवाई के 20-25 दिन बाद कटाई के लिये तैयार हो जाते हैं। पालक की 6-7 बार कटाई की जा सकती है।
भारत में पालक की खेती तीनों सीजन रबी, खरीफ और जायद में की जाती है।
पालक की खेती के लिये अच्छी जल निकासी वाली हल्की दोमट मिट्टी इसके लिये बेहतर मानी जाती है।
पालक की अच्छी किस्मों का चुनाव करें और खेत की 2-3 बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें।
पालक अधिक उत्पादन देने वाली किस्में- आल ग्रीन, पूसा ज्योति, बनर्जी जाइंट और जोबनेर ग्रीन हैं।
पालक में विटामिन ए और सी के साथ प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस आदि खनिज तत्व पाये जाते हैं।
ऐसे में किसान खरीफ सीजन में पालक की खोती से काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।