ज्वार - ज्वार एक सूखा सहनशील अनाज है, जो शुष्क क्षेत्रों के लिए आदर्श है। इसका उपयोग भोजन, पशुओं के चारे और बायोफ्यूल उत्पादन में किया जाता है।
मिलेट्स - बाजरा जैसे मोती बाजरा और रागी कम पानी की आवश्यकता वाली फसलें हैं, जो खराब मिट्टी में भी पनपती हैं। ये पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं।
शकरकंद - शकरकंद विभिन्न प्रकार की मिट्टी में अनुकूलित हो सकता है। यह विटामिन ए और सी से भरपूर होता है और उच्च उपज और पोषण प्रदान करता है।
लोबिया - लोबिया गर्म, सूखे क्षेत्रों में उगने वाली फसल है, जो मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती है। यह प्रोटीन, फाइबर और आवश्यक विटामिन से भरपूर होती है।
कचालू - कचालू गीली और सूखी दोनों परिस्थितियों में उग सकता है और जलभराव वाली मिट्टी को भी सहन करता है। यह कार्बोहाइड्रेट और फाइबर प्रदान करती है।
कैक्टस - कैक्टस शुष्क वातावरण और खराब मिट्टी में भी जीवित रह सकता है। इसकी कुछ किस्में पौष्टिक और खाने योग्य फल भी उत्पन्न करती हैं।
क्लोवर - यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी और मौसम की स्थितियों में उगता है। यह पशुओं के चारे के रूप में काम आता है और नाइट्रोजन स्थिरीकरण के माध्यम से मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है।
चने - चना सूखा प्रतिरोधी फसल है, जो पोषण-विहीन मिट्टी में भी उग सकता है। यह प्रोटीन, फाइबर और आवश्यक खनिजों का महत्वपूर्ण स्रोत है।