पद गलन (कॉलर रॉट) - यह मृदा जनित रोग है। तने का हिस्सा जो जमीन से लगा होता है यहाँ पर यह फफूंद हल्के रंग के धब्बे बनाती है।
गेरूआ (रस्ट) - यह रोग केकोप्सोरा पैकीराईजी नामक फफूंद के द्वारा होता है। इसमें पौधों की पत्तियों पर सुई की नोक के आकार के मटमैले भूरे व लाल धब्बे दिखाई देते हैं।
माइरोथिसियम पत्ती धब्बा- यह रोग मायरोथिसियम रोडीरम नामक फफूंद से होता है जो बुवाई के एक माह बाद लगता है। इसके पौधों की पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बनते हैं।
बैक्टीरियल ब्लाइट - इस बैक्टीरिया का प्रकोप पत्तियों, तनों, डंठलों और फलियों पर धब्बे पड़ जाते हैं. पत्तियों पर कोणीय गीले धब्बे बनने लगते हैं।
पीला मोजेक वायरस – इस रोग से तने में एक इल्ली उत्पन्न हो जाती हैं जिससे पौधा पीला पड़ने लगता हैं और बिना फलिया लगे सूखने लगता है।
झूलसा रोग - ये रोग फलियों और बीज को प्रभावित करती है। पत्तों पर भूरे-पीले धब्बे और पत्तियां सूखकर गिरने लगती हैं।