सीमांत और छोटे किसान खेती के साथ बड़े स्तर पर बकरी पालन भी कर रहे हैं। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी हो रहा है।
संगमनेरी नस्ल की बकरी ज्यादातर महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश किसान इसका पालन कर रहे हैं।
संगमनेरी नस्ल की बकरी हमेशा जुड़वा बच्चों को ही जन्म देती है।
संगमनेरी नस्ल की बकरी के दूध का इस्तेमाल औषधि के रूप भी किया जाता है। इसके दूध से दवा भी बनाई जाती है।
संगमनेरी नस्ल की बकरियों के दूध में कई सारे पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं।
संगमनेरी नस्ल की बकरी 500 से लेकर एक लीटर तक दूध देती है।
इस नस्ल की बकरियों का दुग्धकाल 160 से 165 दिन का होता है।