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गेहूं और चना फसल में कीट एवं रोगों से कैसे करें बचाव, कृषि विकास विभाग ने किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी

कीट और रोग
कीट और रोग

मध्यप्रदेश सरकार पोर्टल से मिली जानकारी के अनुसार पिछले एक सप्ताह से मौसम में बडे बदलाव हो रहे हैं, जिसके कारण रबी मौसम की प्रमुख फसलें गेहूं और चना में कीटों और रोगों का प्रकोप बढ़ने की संभावना है। इस स्थिति को देखते हुए कृषि विकास विभाग का मैदानी अमला किसानों के खेतों का भ्रमण कर उन्हें संभावित समस्याओं और उनके समाधान से अवगत करा रहा है।

चना फसल में कीट एवं रोग प्रकोप Pest and disease outbreak in gram crop:

दिसम्बर-जनवरी के मौसम में आए परिवर्तन विशेष रूप से न्यूनतम तापमान में गिरावट के कारण चना फसल में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया कम हो रही है। इसके परिणामस्वरूप पौधे पीले पड़कर सूखने लगे हैं, जिससे फसल को आर्थिक नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है। इसके अलावा चना फसल पर चने की सुंडी इल्ली, उकठा रोग और जड़ सड़न रोग का प्रभाव देखने को मिलता है।

चना फसल में उपचार हेतु सुझाव Suggestions for treatment of gram crop:

  • कीट नियंत्रण: इमामेक्टिन बेन्जोएट + प्रोफेनोफास (200 ग्राम/एकड़) या क्लोरोइन्ट्रानिलीप्रोल + लेम्ब्डासाइलोथ्रिन (80 मिली/एकड़) छिडकाव करें।
  • रोग नियंत्रण: फ्लूपायराक्साइड + पायरोक्लोरोस्ट्रोबिन (150 मिली/एकड़) या एजोक्सीस्ट्रोबिन + टेबूकोनोजोल (150 मिली/एकड़)।
  • फसल पोषण: एनपीके 19:19:19 (1 किग्रा/एकड़) को 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

गेहूं फसल में जड़माहू कीट और कठुआ इल्ली का प्रकोप: रबी की मुख्य फसल गेहूं में जड़माहू कीट और कठुआ इल्ली का प्रारंभिक प्रकोप देखने को मिला है। यह फसल की जड़ों और पत्तियों को प्रभावित कर रही है, जिससे पौधे पीले पड़ने और सूखने लगे हैं। इल्ली के प्रकोप से फसल की वानस्पतिक वृद्धि और बालियां प्रभावित हो रही हैं।

गेहूं फसल में उपचार हेतु सुझाव Suggestions for treatment of wheat crop:

  1. इमामेक्टिन बेन्जोएट + प्रोफेनोफास (200 ग्राम/एकड़)।
  2. एनपीके 19:19:19 (1 किग्रा/एकड़) को 150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

कृषि विभाग की सलाह: कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे अपनी फसलों की नियमित निगरानी करें और किसी भी समस्या की स्थिति में तुरंत विभाग के अधिकारियों से संपर्क करें। फसलों की सुरक्षा के लिए दिए गए दवाओं और पोषण उपायों का उपयोग समय पर करें। सतर्कता और सही प्रबंधन से फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है।

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