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देश के उत्तर-मध्य भारत में हुई तेज बारिश का असर इन दिनों उत्तर और मध्य भारत की मंडियों में देखने को मिल रहा है। मंडियों में पहुंच रही गेहूं की फसलों में गुणवत्ता में भारी गिरावट देखी जा रही है। बेमौसम हुई बारिश और ओलों के कारण इन फसलों को भारी नुकसान हुआ है। हालांकि जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में गेहूं की स्थिति थोड़ी सुधरने की उम्मीद है।
इस बीच एक राहत वाली खबर सामने आई है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) के सीएमडी अशोक मीणा ने कहा है कि गेहूं को लेकर किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। सरकार के पास अभी पर्याप्त मात्रा में गेहूं का स्टॉक है।
6 साल का टूटा रिकॉर्ड: अशोक मीणा ने कहा कि अप्रैल महीने में अभी तक एफसीआई ने 7 लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीद की है, जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। पिछले 6 साल में अप्रैल के शुरुआती हफ्ते तक सिर्फ 2 लाख मैट्रिक टन ही गेहूं की खरीद हुई थी। 1 अप्रैल तक सरकारी स्टॉक में 84 लाख मैट्रिक टन गेहूं था। उन्होंने आगे बताया कि इस सीजन में IFC ने 342 लाख मैट्रिक टन गेहूं की ख़रीददारी का लक्ष्य रखा है। अशोक मीणा ने ये भी कहा कि मार्केट में अब गेहूं के दामों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी।
उत्तर और मध्य भारत में सबसे निचले स्तर पर गेहूं: मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में किसान गेहूं को मंडियों तक पहुंचा रहे हैं। लेकिन बिन मौसम बरसात, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के कारण फसल की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ा है। लेकिन, सरकारी स्टॉक में पुराना गेहूं अपने 6 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। 1 अप्रैल तक केंद्रीय खजाने में गेहूं का स्टॉक 85.1 लाख टन था, जो अप्रैल की शुरुआती 6 साल में सबसे कम स्टॉक है। हालांकि सरकार का कहना है कि इससे कोई नुकसान नहीं होगा। पंजाब और हरियाणा में गेहूं की खरीद शुरू हो गई है। ऐसे में केंद्र ने इस बार गेहूं के बंपर उत्पादन की संभावना जताई है।
गेहूं की कीमतों में गिरावट: जनवरी में गेहूं की कीमतों में बड़ा उछाल आया था। कीमतें बढ़ने के साथ मंडियों से इसका स्टॉक खत्म हो रहा था। इससे आटे के दाम भी आसमान छू रहे थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ई-नीलामी से खुद गेहूं बेचने का फैसला किया। अभी तक एफसीआई 45 लाख टन से अधिक गेहूं बेच चुका है। इससे गेहूं कुछ सस्ता हुआ है। कीमत में 5 से 7 रुपये तक गिरावट आई है।