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चैत्र की नवरात्रि, एक अत्यंत शुभ त्योहार, 9 अप्रैल से शुरू होकर 17 अप्रैल, 2024 तक चलेगा। इस नौ-दिन में मां दुर्गा और उनके नौ दिव्य स्वरूपों की पूजा होती है। चैत्र नवरात्रि, विशेष रूप से चैत्र मास मार्च-अप्रैल में मनाया जाता है, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में देवी दुर्गा और उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र की नवरात्रि 17 अप्रैल को राम नवमी के साथ समाप्त होता है, जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार और राजा दशरथ और रानी कौसल्या के पुत्र लॉर्ड राम के जन्म का दिन है।
नवरात्र एक उपवास का समय है, इस व्रत में स्वस्थ उपवासी व्यंजन खायें, शरीर और आत्मा दोनों के लिए संतुलन और पोषण को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। साबूदाना परंपरागत उपवासी भोजन रहा है, यह अधिक मात्रा में आलू का स्टार्च है और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से रहित है। फलाहार में सेब, केला, अंगूर, संतरा, पपीते साथ ही दूध, दही, घी, पनीर, मावा चाय और आलू शकरकंद, अरवी आदि का भी सेवन किया जा सकता है।
हर वर्ष अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन की जाती है। हिंदू धर्म में कन्या पूजन का बहुत खास महत्व है। नवरात्र पूर्ण होने के बाद कन्या पूजन किया जाता है। नवरात्रि में उपवास रखने के बाद कन्या पूजन करने से मां दुर्गा और उनके सभी स्वरूप प्रसन्न् होती हैं। घर में सुख-समृद्धि, धन-संपदा बनी रहती है। साथ ही कन्या पूजन करने से कुंडली में दोष कटते है और नौ ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है। कन्या पूजन से परिवार में कलेष पैदा नहीं होता और समस्त सदस्यों की तरक्की भी होती है। कन्या पूजन करने से पहले सभी कन्याओं को आमंत्रित करना चाहिए। कन्याओं के घर में प्रवेश होने पर पूरे परिवार के साथ उनका आदर के साथ स्वागत करना चाहिए। घर में कन्याओं को साफ और स्वच्छ स्थान पर बिठाकर उनके पैरों को धोएं फिर महावर घोलकर कन्याओं के पैरों में लगायें। सभी देवी स्वरूप कन्याओं के माथे पर फूल, अक्षत और कुमकुम का टीका लगाना चाहिए। इसके बाद मां भगवती का ध्यान करके भोजन कराएं। अंत में कन्याओं को कोई उपहार या पैसे देकर उनका पैर छूयें।
चैत्र नवरात्र के नौ दिन अखंड ज्योति जलाई जाती है। अखंड ज्योति जलाने से बुरी चीजों का साया नहीं पडता है और परिवार के समस्त सदस्यों के जीवन में प्रकाश का आगमन और खुशहाली आती है। गाय के घी में अखंड ज्योति जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है। इसके अलावा नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। सरसों के तेल से अखंड ज्योति जलाने पर घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही पितृ शांत रहते हैं।
चैत्र की इस नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, माता कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। आइये जानते हैं सभी मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के मंत्र