भारत में मिर्च खाने में एक अहम भूमिका रखती है। घरों में इस्तेमाल होने वाली यह एक अहम मसाला फसल मानी जाती यही, इसके बगैर खाना अधूरा माना जाता है। देश के कई क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है, करीबन 8 लाख हेक्टेयर हिस्से में मिर्च की खेती होती है और लगभग 12 लाख टन से अधिक उत्पादन किया जा जाता है। माना गया है की मिर्च की फसल इस पर लगने वाले फूलों पर अधिक निर्भर रहती है क्यूकि कभी-कभी कीड़ें या और वजहें से फूलों को नष्ट कर देती हैं। हम आपको एक ऐसी दवा के बारे में बताएंगे जो मिर्च के पौधे पर ज्यादा से ज्यादा फूल और फल लाने में उपयोगी और मददगार साबित हो सकती है।
मिर्च की फसल में जब फूल लगने का समय लगने तो उसमे प्लैनोफिक्स 10 पी पी एम का छिड़काव करें। फूल आने के तीन हफ्ते बाद भी इसका छिड़काव करने से इसकी शाखाओं में वृद्धि होती है। इससे फल भी ज्यादा आते है, साथ ही रोपाई करने के 18 दिन बाद ट्राई केटेनॉल 1 पी पी एम की ड्रेन्चिंग करने से पौधों की बढ़ोतरी अच्छी होती है। लगभग 43 दिन बाद भी यही प्रक्रिया दोहराई जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त फल लगने के बाद जिब्रेलिक एसिड 10-100 पीपीएम कंसनट्रेट को पानी में घोल कर छिड़का जाए तो भी फल अधिक लगते हैं।
देश में मिर्च की खेती के लिए गर्मी, बारिश और सर्दी तीनों ही मौसम अनुकूल होते हैं। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो मिर्च की मुख्य फसल जून से अक्टूबर के महीने में तैयार हो जाती है। जिसको जून से जुलाई के बीच में रोपा जाता है। मिर्च की फसल के लिए 15 से 35 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान और नमी वाली जलवायु को उचित्त माना जाता है।
देश में कहां-कहां पर होती है खेती: भारत में सबसे अधिक मिर्च उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडु, राजस्थान और पश्चिम बंगाल को गिना जाता है। इन राज्यों में कुल 80 प्रतिशत मिर्च का उत्पादन होता है। आपको बता दें, देश में मध्य प्रदेश का बड़वानी जिला वह हिस्सा है जहां पर हरी और लाल मिर्च का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। वर्ष 2012-2013 के आंकड़ों के अनुसार यहां, हरी मिर्च का उत्पादन करीबन 77,6200 टन दर्ज किया गया था, तो वहीं लाल मिर्च का उत्पादन 40,362 टन के लगभग था।