वाराणसी के एक प्रगतिशील किसान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क कर स्वयं द्वारा विकसित की गई गेहूं की नई प्रजातियों को दान करने की इच्छा व्यक्त की है। इस किसान का कहना है कि उसकी विकसित की गई ये प्रजातियां उच्च उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता की हैं, जो भारतीय कृषि में क्रांति ला सकती हैं।
किसान ने बताया कि उसने कई वर्षों के प्रयास और अनुसंधान के बाद इन विशेष प्रजातियों का विकास किया है। ये प्रजातियां न केवल उत्पादन में वृद्धि करेंगी बल्कि रोगों के प्रति भी अधिक सहनशील हैं, जिससे किसानों को अधिक लाभ हो सकता है।
वाराणसी जिले के तडिया गांव के किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी को 23 जुलाई को करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR), जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के कई केंद्रों में से एक है, के एक वैज्ञानिक से आश्चर्यजनक कॉल मिली। वैज्ञानिक ने बताया कि गेहूं प्रजनकों की एक टीम उनसे मिलने आना चाहती है। वैज्ञानिकों की टीम उनकी खेती के तरीकों और उनकी विकसित की गई गेहूं की प्रजातियों को देखने आई थी। यह पहल भारतीय कृषि में न केवल उनके योगदान को पहचानती है, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणादायक है।
प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में किसान ने कहा कि वह चाहता है कि उसकी विकसित की गई प्रजातियां देशभर के किसानों तक पहुंचें ताकि वे इसका लाभ उठा सकें। उसने अनुरोध किया है कि सरकार इस पर ध्यान दे और इन प्रजातियों के व्यापक उपयोग को बढ़ावा दे।
किसान का मानना है कि यदि इन प्रजातियों को सरकारी स्तर पर मान्यता मिलती है और उन्हें देशभर में वितरित किया जाता है, तो इससे भारत के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है। उसने प्रधानमंत्री से अपील की है कि वे इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएं ताकि भारतीय किसानों को अधिकतम लाभ मिल सके।
इस किसान की पहल ने स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है और कई कृषि विशेषज्ञों ने भी इसके महत्व को स्वीकारा है। अगर सरकार इसे स्वीकारती है, तो यह भारतीय कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।